डब्ल्यूएचओ ने कहा कि देशों ने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों (आईएचआर) में संशोधन करने पर सहमति जताई जैसे कि ‘‘वैश्विक महामारी आपातकाल’’ शब्द को परिभाषित करना और विकासशील देशों को वित्तपोषण एवं चिकित्सा उत्पादों तक बेहतर पहुंच प्राप्त करने में मदद करना. इन नियमों में इससे पहले 2005 में बदलाव किया गया था. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने वैश्विक महामारियों से निपटने संबंधी अधिक व्यापक ‘‘संधि’’ अपनाने की योजनाएं पर सहमति नहीं बन पाने पर इस साल अपनी छह दिवसीय ‘विश्व स्वास्थ्य सभा’ को समाप्त कर दिया था. प्रौद्योगिकी के बेहतर आदान-प्रदान और महामारी फैलाने वाले रोगाणुओं के बारे में असहमति के कारण योजनाओं पर सहमति नहीं बन पाई थी.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि देशों ने महामारी से निपटने संबंधी समझौते पर वार्ता को वर्ष के अंत तक पूरा करने पर सहमति व्यक्त की. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने कहा, ‘‘आईएचआर संशोधनों की सफलता दर्शाती है कि हमारी विभाजित और विभाजनकारी दुनिया में देश अब भी साझा उद्देश्य और साझा आधार खोजने के लिए एक साथ आ सकते हैं.’’ डब्ल्यूएचओ ने कहा कि देशों ने वैश्विक महामारी आपात स्थिति को एक संक्रामक रोग के रूप में परिभाषित किया है, जो भौगोलिक आधार पर व्यापक रूप से फैल सकती है या जिसका जोखिम बहुत अधिक है. यह भी पढ़ें : Chinese Spacecraft on Moon: चीनी अंतरिक्ष यान चंद्रमा के सुदूर हिस्से में उतरा, मिट्टी-चट्टान के नमूने लेगा
एजेंसी ने कहा कि इसे ऐसे प्रकोप के रूप में भी परिभाषित किया गया है जो ‘‘उल्लेखनीय’’ आर्थिक या सामाजिक व्यवधान पैदा कर सकता है तथा जिसके लिए त्वरित अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ के कानूनी अधिकारी स्टीवन सोलोमन ने कहा कि स्वास्थ्य नियमों को संशोधित करने का कदम तुरंत प्रभावी नहीं होगा, बल्कि यह टेड्रोस द्वारा निर्णय के बारे में देशों को औपचारिक रूप से सूचित करने के एक साल बाद लागू होगा.