कोलकाता, 12 मई कोविड-19 के संकट से कथित तौर पर सही तरीके से नहीं निपटने की आलोचनाओं के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव विवेक कुमार का तबादला कर दिया जिसके बाद विपक्ष ने दावा किया है कि अधिकारी को हटाये जाने से साबित होता है कि वाकई कुछ गलत हुआ था।
सरकारी अधिसूचना के अनुसार, पर्यावरण सचिव नारायण स्वरूप निगम को विवेक कुमार की जगह नया स्वास्थ्य सचिव नियुक्त किया गया है।
कुमार को सचिव के तौर पर पर्यावरण विभाग में भेजा गया है। इससे कुछ दिन पहले ही कोविड-19 संकट से निपटने में पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना को लेकर उसके और केंद्र सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले थे।
राज्य में कोविड-19 के हालात का मौका-मुआयना करने के लिए गए अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दलों ने कुमार की अगुवाई में स्वास्थ्य विभाग के कामकाज पर निराशा प्रकट की थी। कुमार को पिछले साल दिसंबर में ही संघमित्रा घोष की जगह स्वास्थ्य सचिव बनाया गया था।
केंद्र सरकार ने हाल ही में कोविड-19 के प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा और कहा था कि राज्य में आबादी के अनुपात में जांच की बहुत कम दर तथा 13.2 फीसद की बहुत अधिक मृत्यु दर राज्य में कुप्रबंधन को दिखाती है।
सूत्रों के अनुसार, तीन अप्रैल को मृत्यु ऑडिट समिति के गठन का विचार कुमार का था जिसे लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। विपक्षी दलों ने इसे कोरोना वायरस से मौत और संक्रमण के आंकड़ों में ‘हेरफेर’ के लिए सरकार द्वारा बनाया गया हथियार करार दिया।
आलोचना के मद्देनजर राज्य प्रशासन ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ऑडिट समिति से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया जब खुद स्वास्थ्य मंत्रालय का कामकाज देख रहीं ममता बनर्जी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने ऑडिट समिति बनाने का फैसला किया था और उनका इससे कोई लेनादेना नहीं है।
गत दो मई को राज्य सरकार ने ऑडिट समितियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव कर कहा कि अब से यह समिति इस बात का प्रमाणन नहीं करेगी कि किसी रोगी की मृत्यु कोरोना वायरस से हुई है या पहले से मौजूद किसी बीमारी से।
पश्चिम बंगाल में अब तक संक्रमण से 190 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें से राज्य ने 72 मामलों में मौत की वजह अन्य बीमारियों को बताया है जिनमें रोगियों को साथ में कोरोना वायरस संक्रमण भी था।
राज्य में सोमवार तक संक्रमण के 1,939 मामले आए हैं जिनमें से 1,374 लोगों का उपचार चल रहा है।
भाजपा ने दावा किया कि स्वास्थ्य सचिव को हटाये जाने से साबित होता है कि महामारी से निपटने के राज्य के तरीके में कुछ तो ‘गंभीर रूप से गलत’ था।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘सारे फैसले मुख्यमंत्री की मंजूरी से होते हैं तो वह अपनी जिम्मेदारी से कैसे पल्ला झाड़ सकती हैं?’’
इससे पहले राज्य में 16 अप्रैल को खाद्य सचिव मनोज अग्रवाल को हटाया गया था।
माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि यह फैसला बहुत पहले हो जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक राज्य सरकार कोविड-19 से निपटने की अपनी नीति में बदलाव नहीं करती तब तक, क्या इस फैसले से कुछ हासिल होगा।
तृणमूल कांग्रेस की तरफ से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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