देश की खबरें | पश्चिम बंगाल : फर्जी पासपोर्ट गिरोह में शामिल पूर्व पुलिस अधिकारी गिरफ्तार

कोलकाता, पांच जनवरी पासपोर्ट से जुड़े आवेदनों को उचित सत्यापन के बिना मंजूरी देने के आरोप में कोलकाता पुलिस के सेवानिवृत्त उपनिरीक्षक अब्दुल हुई को गिरफ्तार किया गया है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने रविवार को बताया कि अब्दुल की गिरफ्तारी के साथ फर्जी पासपोर्ट गिरोह में शामिल होने के आरोप में हिरासत में लिए गए आरोपियों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है।

अधिकारी के मुताबिक, अब्दुल जब सुरक्षा नियंत्रण संगठन (एससीओ) से संबद्ध था, तब उसने कई आवेदकों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करने में कथित तौर पर अहम भूमिका निभाई थी। एससीओ क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से प्राप्त आवेदनों की जांच करता है।

अधिकारी के अनुसार, अक्टूबर 2023 में पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले अब्दुल को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के अशोक नगर इलाके में स्थित उसके घर से शनिवार तड़के गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने बताया कि अब्दुल को शनिवार को अलीपुर की एक अदालत में पेश किया गया, जिसने उसे 18 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।

अधिकारी के मुताबिक, अब्दुल से हाल के वर्षों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी किए जाने में उसकी भूमिका का पता लगाने के लिए पूछताछ की जा रही है।

उन्होंने कहा, “हम यह पता लगाने के लिए अब्दुल की ‘संपर्क सूची’ खंगाल रहे हैं कि वह गिरोह का हिस्सा था या नहीं।”

कोलकाता पुलिस के जासूसी विभाग ने 27 सितंबर 2024 को भवानीपुर पुलिस थाने में दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी।

प्रारंभिक जांच के अनुसार, अब्दुल ने 50 से अधिक पासपोर्ट आवेदनों को मंजूरी दी थी, जो बाद में फर्जी पाए गए।

सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया कि अब्दुल फर्जी दस्तावेजों पर आधारित प्रत्येक आवेदन के सत्यापन के लिए 25,000 रुपये लेता था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अब्दुल से पूछताछ करने पर मामले की जांच के सिलसिले में महत्वपूर्ण सुराग मिलेंगे।”

फर्जी पासपोर्ट गिरोह में संलिप्तता के आरोप में अब्दुल की गिरफ्तारी से पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को राज्य प्रशासन पर पुलिस के एक वर्ग द्वारा समर्थित फर्जी पासपोर्ट गिरोह पर आंखें मूंदने का आरोप लगाया।

हालांकि, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने केंद्र सरकार पर सीमापार से घुसपैठ की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए गिरोह में शामिल लोगों का पता लगाने में राज्य पुलिस की भूमिका की सराहना की।

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने संवाददाताओं से कहा कि सेवानिवृत्त एसआई की गिरफ्तारी महज शुरुआत थी।

उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में फर्जी आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों के आधार पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को पासपोर्ट जारी करना बेलगाम जारी था। हमने पश्चिम बंगाल सरकार के सामने यह मुद्दा बार-बार उठाया है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समस्या को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।”

मजूमदार के आरोपों पर पलटवार करते हुए तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा कि “कुछ बेईमान अधिकारियों के गलत तरीके अपनाने और राज्य के खिलाफ काम करने के छिटपुट मामले हमेशा सामने आते रहे हैं।” उन्होंने दावा किया कि वाम मोर्चे के शासनकाल में भी कुछ भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के पासपोर्ट गिरोह में शामिल होने के आरोप लगे थे।

घोष ने गिरोह का पर्दाफाश करने में राज्य के जांचकर्ताओं की भूमिका की सराहना की। उन्होंने सवाल किया कि “बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) जैसे केंद्रीय बलों की क्या भूमिका है, जिन्हें घुसपैठ रोकने के लिए सीमा की रक्षा करने का जिम्मा सौंपा गया है।”

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)