देश की खबरें | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर 1993 में वापसी के लिये तैयार नहीं था : पवार

पुणे, 29 दिसंबर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने बुधवार को कहा कि वह मुंबई में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए दंगों के दौरान केंद्र से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में वापस आने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन उन्हें "भावनात्मक तौर" से तैयार किया गया और 1993 में राज्य सत्ता की बागडोर संभालने के लिए कहा गया।

उस समय कांग्रेस नेता रहे पवार प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री थे और मार्च 1993 में उन्होंने सुधाकरराव नाइक की जगह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला।

यह पूछे जाने पर कि क्या 1993 में दिल्ली से मुख्यमंत्री के रूप में महाराष्ट्र वापस आने का उनका निर्णय था, पवार ने नकारात्मक में उत्तर दिया।

पवार याद करते हैं, “बाबरी मस्जिद विध्वंस (दिसंबर 1992 में) के बाद मुंबई में दंगे भड़क गए। मुंबई में 14-15 दिनों तक सामान्य जनजीवन ध्वस्त हो गया। मैं पी वी नरसिंह राव की सरकार में रक्षा मंत्री था। मुझे बताया गया कि मुंबई जाओ और पदभार (मुख्यमंत्री का) संभालो।”

अनुभवी राजनेता पुणे में मराठी दैनिक ‘लोकसत्ता’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जिसके संपादक गिरीश कुबेर ने इस अवसर पर उनका साक्षात्कार लिया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शुरुआत में वह राज्य की कमान संभालने के इच्छुक नहीं थे और वापस दिल्ली चले गए थे लेकिन अंततः मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए लौट आए।

पवार ने कहा कि उनके फिर से वापस आने का कारण यह था कि महानगर में दंगे भड़क गए थे। कई बार मुख्यमंत्री रह चुके राज्यसभा सदस्य पवार ने कहा कि अपने गृह राज्य वापस आना और एक बार फिर से सत्ता की कमान संभालना उनके लिए भावनात्मक फैसला था।

उन्होंने कहा, “मुझे भावनात्मक रूप से इस जिम्मेदारी के लिये मनाते हुए कहा गया कि जिस राज्य में मैं पैदा हुआ व पला-बढ़ा और जहां से यहां (दिल्ली) आया, वह जल रहा है और ऐसे में अगर आप (पवार) जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो इससे उन्हें दुख होगा।”

पवार ने कहा कि उस स्थिति में, उन्हें राज्य में लौटने का निर्णय लेना था।

यह पूछे जाने पर कि क्या महाराष्ट्र में उनकी वापसी ने एक प्रमुख राष्ट्रीय नेता के रूप में उनके उभरने में कोई बाधा उत्पन्न की, पवार ने कहा, “यह संभव हो सकता है।” 1999 में कांग्रेस छोड़कर राकांपा बनाने वाले पवार ने कहा कि राज्य में आने के बाद उन्होंने समुदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव लाने की कोशिश की।

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