महाकुम्भ नगर, 13 जनवरी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सोमवार को महाकुम्भ के प्रथम स्नान पर्व पर तड़के घने कोहरे के बीच भारी भीड़ में अपनों से बिछड़े 250 से अधिक लोगों का अपने परिजनों से फिर मिलना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा।
पारंपरिक भूले-भटके शिविर की तर्ज पर डिजिटल पहल के माध्यम से बिछड़ों को परिजनों से मिलवाया गया।
सोमवार को पौष पूर्णिमा के साथ महाकुम्भ मेला शुरू हुआ, जिसमें शाम तक डेढ़ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने मेले में उमड़ने वाली भारी भीड़ को संभालने के लिए भूले-भटके शिविर सहित कई भीड़ नियंत्रण उपाय किये हैं। इसके अलावा, पुलिस सहायता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं और मेले के लिए विशेष रूप से ‘वॉच टावर’ लगाए गए हैं।
भूले-भटके शिविरों में बिछड़ी महिलाओं और बच्चों के लिए समर्पित खंड के साथ खोया-पाया केंद्र भी स्थापित किए गए हैं, जो डिजिटल उपकरणों और सोशल मीडिया सहायता से युक्त हैं।
वहीं, घाटों पर लगाए गए लाउड स्पीकर से लापता लोगों के बारे में लगातार घोषणा की जा रही है, जिससे बिछड़ों को उनके परिजनों से मिलाने में मदद मिल रही है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, पूरे मेला क्षेत्र में ऐसे 10 खोया-पाया केंद्र स्थापित किए गए हैं और आधुनिक सुविधाओं से लैस इन केंद्रों में प्रतीक्षालय, चिकित्सा कक्ष और महिलाओं एवं बच्चों के लिए चाय नाश्ते की व्यवस्था की गई है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) भानु भास्कर ने बताया कि प्रत्येक केंद्र में 55 इंच के एलईडी स्क्रीन लगे हैं, जिसमें भटके हुए और मिल चुके लोगों की अद्यतन जानकारी दी जा रही है।
साथ ही ये केंद्र घाट की व्यवस्थाओं और मार्गों के बारे में भी आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
उन्होंने बताया कि ये केंद्र खोए हुए व्यक्तियों और वस्तुओं के बारे में डिजिटल माध्यम से जानकारी दर्ज कर रहे हैं और एलईडी स्क्रीन पर उनकी फोटो और अन्य जानकारी प्रदर्शित की जा रही है।
ये सभी केंद्र एक आधुनिक संचार के जरिए एक दूसरे से जुड़े हैं।
भास्कर ने बताया कि सूचनाओं को ‘फेसबुक’, ‘एक्स’ आदि के माध्यम से भी साझा किया जा रहा है ताकि लापता व्यक्तियों और वस्तुओं का पता लगाने में मदद मिल सके। इसके अलावा, पूरे मेला क्षेत्र में पूछताछ केंद्र स्थापित किए गए हैं।
इससे पूर्व, पारंपरिक भूले भटके शिविर में लोग लापता व्यक्तियों के बारे में घाटों पर लगे लाउडस्पीकरों से सूचनाओं की घोषणा करते थे।
उत्तर प्रदेश नागरिक सुरक्षा के वार्डन नितेश कुमार द्विवेदी ने ‘पीटीआई वीडियो’ सेवा को बताया, “नागरिक सुरक्षा विभाग और मेला अधिकारियों की निगरानी में सैकड़ों परिवारों को मिलाया गया। स्नान शुरू होने के महज डेढ़ घंटे में नागरिक सुरक्षा विभाग के लोग करीब 200-250 लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में सफल रहे।”
दिल्ली से आए श्रद्धालु अजय गोयल ने अपने परिजनों से बिछड़ने का दर्द बयां करते हुए कहा, “पहले हम मजाक किया करते थे कि कैसे लोग कुम्भ मेले में बिछड़ जाते हैं, जैसा कि पुरानी फिल्मों में दिखाया जाता था। मेरे परिजनों से बिछड़ने के बाद हमें अहसास हुआ कि यह मजाक नहीं है, बल्कि वास्तव में ऐसा होता है।”
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