नयी दिल्ली, 15 सितंबर विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल से मंगलवार को अफगान शांति प्रक्रिया के अपने विशेष दूत जलमी खलीलजाद द्वारा व्यापक वार्ता करने के बाद अमेरिका ने कहा कि अफगान पक्षों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी आतंकवादी संगठन द्वारा किसी देश के विरुद्ध नहीं किया जाए।
भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह दोहा में अफगान वार्ता के उद्घाटन समारोह में भारत की भागीदारी की खलीलजाद ने प्रशंसा की और अफगान शांति प्रक्रिया पर अमेरिका का परिप्रेक्ष्य साझा किया।
खलीलजाद अफगान शांति वार्ता पर भारतीय नेताओं के साथ चर्चा करने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे। पिछले साल जनवरी से यह उनकी पांचवीं भारत यात्रा है।
इस संबंध में एक बयान में अमेरिका ने कहा कि उसका और भारत का मत है कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया तब तक जारी रहनी चाहिए जब तक राजनीतिक रोडमैप पर सहमति नहीं बन जाती है और ‘समग्र एवं स्थायी संघर्षविराम नहीं हो जाता।’
यह भी पढ़े | Corona pandemic: कोरोना संकट की वजह से पाकिस्तान में फंसे 37 भारतीय अटारी-वाघा सीमा से भारत लौटे.
शनिवार को भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने दोहा में अफगान वार्ता के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। जयंशकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इसमें हिस्सा लियाा था।
तालिबान और अफगान सरकार 19 साल से चल रही लड़ाई के समापन के लिए पहली बार सीधी वार्ता कर रहे हैं।
अमेरिका का यह मत कि किसी भी आतंकवादी संगठन द्वारा अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश के विरूद्ध नहीं होना चाहिए, भारत के रुख से मेल खाता है।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ''आज शाम अफगानिस्तान मामलों के अमेरिका के विशेष दूत जलमी खलीलजाद से मुलाकात की। इस दौरान दोहा में चल रही वार्ता और उससे संबंधित घटनाक्रम पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।''
बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला भी मौजूद थे।
खलीलजाद ने कहा कि अफगान वार्ता की सफलता एवं किसी भी समझौते के क्रियान्वयन के लिए क्षेत्रीय एवं अंतराष्ट्रीय सहयोग अहम है और भारत एवं अमेरिका इस उद्देश्य के लिए मिलकर काम करेंगे।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)