बीजिंग स्थित अमेरिकी दूतावास ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि वर्ष 2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नियुक्त ब्रान्स्टेड ने पिछले हफ्ते फोन के जरिये ट्रम्प को अपने फैसले से अवगत करा दिया है। उनके पद छोड़ने के कारणों की जानकारी नहीं दी गई है।
बयान में दूतावास के कर्मियों के साथ बैठक में ब्रान्स्टेड की बात को उद्धृत करते हुए कहा गया, ‘‘मैं पहले चरण के व्यापार समझौते और स्वदेश में अपने समुदायों के लिए ठोस नतीजे हासिल करने के लिए किए गए अपने काम पर गौरान्वित हूं।’’
ब्रान्स्टेड के पद छोड़ने की जानकारी पहले ही दिन में ही तब सार्वजनिक हो गई थी जब विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने ट्विटर पर उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
पोम्पिओ ने लिखा, ‘‘राजदूत ब्रान्स्टेड ने अमेरिका-चीन संबंधों को पुनर्जीवित करने में योगदान दिया है ताकि यह परिणामोन्मुखी, पारस्परिक और निष्पक्ष हो।’’
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अमेरिकी दूतावास की घोषणा से पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पोम्पियो के ट्वीट की उसके जानकारी है लेकिन अभी तक ब्रान्स्टेड के पद छोड़ने की कोई अधिसूचना नहीं है।
ब्रान्स्टेड उस समय एक विवादों में आ गये थे जब चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘पीपुल्स डेली’ ने उस लेख (कॉलम) को खारिज कर दिया था जो उन्होंने दिया था।
पोम्पिओ ने पिछले सप्ताह टि्वट किया था कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने ब्रान्स्टेड के लेख को प्रकाशित करने से मना कर दिया जबकि अमेरिका में चीनी राजदूत ‘‘किसी भी अमेरिकी मीडिया आउटलेट में प्रकाशित कराने के लिए स्वतंत्र हैं।’’
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने इसके जवाब में कहा था कि ब्रान्स्टेड का लेख ‘‘खामियों से भरा हुआ था, तथ्यों के साथ गंभीर रूप से असंगत था और चीन पर हमला करता हुआ प्रतीत हो रहा था।’’
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