नयी दिल्ली, 20 दिसंबर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से 100 से अधिक नागरिक समाज संगठनों और पर्यावरण समूहों ने अपील की है कि वे अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी पर 11,000 मेगावाट के जलविद्युत बांध के लिए पूर्व-व्यवहार्यता सर्वेक्षण को "सुविधाजनक" बनाने के लिए तैनात अर्धसैनिक बलों को वापस बुला लें।
राज्य के अपर सियांग जिले में अपर सियांग जलविद्युत परियोजना को यारलुंग जांग्बो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर चीन की जलविद्युत परियोजनाओं (विशेष रूप से तिब्बत के मेडोग काउंटी में 60,000 मेगावाट के 'सुपर बांध') का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
विस्थापन और प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभावों के डर से स्थानीय मूल निवासी लोग (मुख्यतः आदि जनजाति) इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने पूर्व-व्यवहार्यता सर्वेक्षण को "सुगम बनाने" के लिए पिछले सप्ताह जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों को तैनात करना शुरू कर दिया, जिसके कारण घाटी में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि स्थानीय लोग नहीं चाहेंगे तो सरकार जलविद्युत परियोजना पर काम नहीं करेगी।
नागरिक समाज संगठनों और पर्यावरण समूहों ने राष्ट्रपति को लिखे अपने खुले पत्र में कहा कि स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र (जिस पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं) स्वदेशी लोगों को उनकी भूमि, संसाधनों, आजीविका और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाली किसी भी गतिविधि पर सहमति देने या न देने का अधिकार देता है।
उन्होंने कहा कि यह परेशान करने वाली बात है कि राज्य और केंद्र सरकारें कुछ महीने पहले किए गए अपने वादे से मुकर गई हैं कि "लोगों की सहमति के बिना परियोजना की कोई भी गतिविधि शुरू नहीं की जाएगी"।
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