लखनऊ, 23 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी नगरीय निकाय चुनावों से पहले मुसलमानों के सबसे बड़े तबके यानी पसमांदा (पिछड़े) समाज को अपने पाले में लाने की कोशिशों में जुटी है. प्रदेश के हर नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में पसमांदा मुसलमानों के सम्मेलन कराने की योजना बना रही भाजपा का दावा है कि वह इस पिछड़े वर्ग का सामाजिक और आर्थिक उत्थान करने के बाद अब उनका राजनीतिक उत्थान भी करना चाहती है.
हालांकि विपक्षी दलों ने भाजपा के इन प्रयासों को छलावा करार दिया है. भाजपा इन दिनों प्रदेश में पसमांदा मुसलमानों के सम्मेलन आयोजित करके उनके लिए अपनी सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का जिक्र करने के साथ-साथ इन मुसलमानों का ‘वोट बैंक’ की तरह इस्तेमाल करने और उसे उसका वाजिब हक नहीं देने का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस को घेर रही है. यह भी पढ़ें : VIDEO: कर्नाटक के मंत्री ने महिला को जड़ा थप्पड़, वीडियो हुआ वायरल
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के एकमात्र मुस्लिम मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश अंसारी खुद भी पसमांदा समाज से आते हैं. उन्होंने 'पीटीआई-' से बातचीत में कहा, ‘‘मुसलमानों का राजनीतिक सशक्तीकरण होना भी बहुत जरूरी है. केंद्र और राज्य सरकार ने मुसलमानों का अभी तक आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण किया है. भाजपा अब मुसलमानों को भागीदारी देकर उनका राजनीतिक सशक्तीकरण करना चाहती है.’’