संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस ने अंतरराष्ट्रीय बारूदी सुरंग प्रतिबंध संधि (ओटावा कन्वेंशन) की पांचवीं समीक्षा में प्रतिनिधियों को अपने संदेश में कहा कि इसके लागू होने के 25 साल बाद भी कुछ पक्षों ने बारूदी सुरंगों के इस्तेमाल को नवीनीकृत किया है, और कुछ देश हथियारों को नष्ट करने की अपनी प्रतिबद्धताओं में पीछे रह रहे हैं।
कंबोडिया में सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर गुतारेस ने कहा, ‘‘मैं सदस्य देशों से अपने दायित्वों को पूरा करने तथा वित्तीय एवं तकनीकी सहायता के माध्यम से मानवीय तथा विकासात्मक प्रभावों का समाधान करते हुए सम्मेलन का अनुपालन सुनिश्चित करने का आह्वान करता हूं।’’
पोप फ्रांसिस बयान को पढ़ते हुये उनके सहायक कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने कहा कि बारूदी सुरंग और पीड़ितों द्वारा सक्रिय विस्फोटक उपकरणों का इस्तेमाल जारी है। कई वर्षों की शत्रुता के बाद भी, ये विश्वासघाती उपकरण नागरिकों, खासकर बच्चों को भयानक पीड़ा पहुंचाते रहते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘‘पोप फ्रांसिस सभी देशों से आग्रह करते हैं कि वे बारूदी सुरंगों का उत्पादन और उपयोग तत्काल बंद कर दें।’’
इस संधि पर 1997 में हस्ताक्षर किये गये थे तथा यह 1999 में लागू हुई, लेकिन लगभग तीन दर्जन देशों ने इसे स्वीकार नहीं किया है, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और रूस जैसे बारूदी सुरंगों के कुछ प्रमुख वर्तमान और पूर्व उत्पादक तथा उपयोगकर्ता शामिल हैं।
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