नयी दिल्ली, 22 नवंबर सरकार राष्ट्रीय खेल विधेयक के मसौदे को संसद में पेश करने की जल्दबाजी में नहीं है और इसे हर तरह की शिकायतों और खामियों को दूर करने के बाद ही सदन के पटल पर रखेगी।
खेल विधेयक के मसौदे में ‘खेल नियामक बोर्ड’ की स्थापना का जिक्र है जिस पर भारतीय ओलंपिक समिति (आईओए) की प्रमुख पीटी उषा सवाल उठा चुकी है। ‘ खेल नियामक बोर्ड’ के पास आईओए और राष्ट्रीय खेल महासंघों को संबद्धता प्रदान करने, नवीनीकृत करने और निलंबित करने का अधिकार होगा।
उषा ने इसकी अत्यधिक शक्तियों पर सवाल उठाते हुए आगाह किया है कि इससे आईओए और राष्ट्रीय महासंघों की स्वायत्तता को कमजोर करेगा और इससे देश पर अंतरराष्ट्रीय निलंबन का खतरा होगा।
खेल मंत्री मनसुख मांडविया से शुक्रवार को इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उषा का तर्क वाजिब है और हम इस मसौदे को हर तरह की शिकायतों से दूर करने पर काम कर रहे है।
मांडविया ने आश्वासन दिया कि खेल विधेयक काफी व्यापक होगा और इसमें अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों के निर्देशों के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त लचीलापन होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। इस मसौदा विधेयक से हर तरह की शिकायतों को दूर करने के बाद संसद में पेश किया जायेगा। इसे संसद के आगामी सत्र में पेश करने की कोई योजना नहीं है।’’
मांडविया ने यहां कहा, ‘‘ उषा ने बिल्कुल सही तर्क दिया है। हम अगर अंतरराष्ट्रीय महासंघों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। इस विधेयक में ऐसे प्रस्ताव होंगे कि अगर आईओसी या किसी खेल की अंतरराष्ट्रीय संस्था कोई बदलाव करती है तो इस विधेयक में भी उस तरह के बदलाव हो सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि ‘परिपक्व खेल विधेयक’ तैयार करने के लिए वह खेल महासंघों को अदालत में ले जाने वाले लोगों सहित सभी हितधारकों के विचारों को सुनने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
खेल मंत्री ने साफ कर दिया कि सरकार को खेलों को नियंत्रित करने में कोई दिलचस्पी नहीं है लेकिन वह देश में खेलों की बेहतर स्थिति के लिए सुशासन सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी।
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