नयी दिल्ली, 28 दिसंबर: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के लिए यह वर्ष अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण की पड़ताल के लिए गठित रोहिणी आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने से लेकर 714 जिलों के मैला ढोने की प्रथा से मुक्त घोषित होने तक कई उपलब्धियों से भरा रहा. सभी जिलों से अनुरोध किया गया है कि वे या तो खुद को मैला ढोने की प्रथा से मुक्त घोषित करें या इससे जुड़े अस्वच्छ शौचालयों और मैला ढोने वालों का आंकड़ा ‘‘स्वच्छता अभियान’’ मोबाइल ऐप पर अपलोड करें.
नवंबर तक, देश के 766 जिलों में से 714 ने खुद को मैला ढोने से मुक्त घोषित कर दिया है. जाति-आधारित गणना की बहस के बीच, इस साल ओबीसी के उप-वर्गीकरण की पड़ताल के लिए गठित रोहिणी आयोग ने जुलाई में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसकी रिपोर्ट को हालांकि सार्वजनिक नहीं किया गया है और वर्तमान में इसकी समीक्षा की जा रही है. रोहिणी आयोग की सिफारिशें जाति-आधारित गणना पर बहस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.
दिव्यांगों हेतु विशेष पहचान पत्र (यूडीआईडी) के तहत इस साल एक करोड़ कार्ड जारी किये गये. इस साल सभी 35 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और 69 घरेलू हवाई अड्डों में से 55 ने दिव्यांगों के लिए रैंप, सुलभ शौचालय, हेल्प डेस्क और ब्रेल और श्रवण सूचना प्रणाली के साथ लिफ्ट जैसी पहुंच सुविधाएं प्रदान कीं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 709 रेलवे स्टेशनों को ‘पूरी तरह से सुगम्य’ बनाया गया है और 4,068 रेलवे स्टेशनों को ‘आंशिक रूप से सुगम्य’ बनाया गया है.
सात राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने सूचित किया है कि 2,839 राज्य सरकारी भवनों को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाने के लिए चुना गया है.
दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त ने दो ऐतिहासिक फैसले दिए, जिसमें सरकारी कार्यालयों को दुर्गम होने पर स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया और हवाई अड्डों पर दिव्यांगों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाने पर जोर दिया गया. श्रवण संबंधी विकार वाले व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए ई-कॉमर्स मंचों द्वारा श्रवण यंत्रों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया था.
दिव्यांगता मामलों के विभाग ने ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम’ के तहत दिये गये ऋण की अदायगी के लिए लिए ‘दिव्यांगजन’ कर्जदारों को ब्याज दर में एक प्रतिशत की छूट की घोषणा की. मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इस पहल का उद्देश्य वित्तीय सहायता चाहने वाले दिव्यांग व्यक्तियों पर वित्तीय बोझ को कम करना है. यह समावेशिता को बढ़ावा देने और सभी नागरिकों के लिए उनकी क्षमताओं की परवाह किए बिना, वित्तीय अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने संबंधी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)