मुंबई: भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackera) ने शनिवार को कहा कि “असली नेता” की पहचान यह है कि उसे पता होता है कि प्रदर्शन करने के लिये सही वक्त क्या है और कब बातचीत बेहतर विकल्प है. मुख्यमंत्री पूर्ववर्ती कोल्हापुर रियासत के सुधारवादी शासक छत्रपति शाहू महाराज की जयंती के अवसर पर आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. ठाकरे ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द मराठा आरक्षण को लागू करने में कानूनी अड़चने हैं और उनका कानूनी समाधान तलाशने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान सड़कों पर प्रदर्शन करने से बचा जाना चाहिए और “कब विरोध प्रदर्शन करना है और कब संवाद करना है इस पर उचित फैसला करना एक असली नेता की पहचान है. उन्होंने कहा, “एक सच्चा नेता वह है जो रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में समुदाय की रक्षा करे। शक्ति प्रदर्शन के जरिये वायरस का प्रसार सही नहीं है। कानूनी तौर पर मामले के लिये हम जो कुछ भी कर सकते हैं कर रहे हैं। एक पुनर्विचार याचिका दायर की गई है.
मुख्यमंत्री ने कहा, “सही और न्यायोचित मांग के लिये सड़कों पर उतरना शिवसेना के खून में है. लेकिन हम जानते हैं कि जब किसी मुद्दे पर एकराय और सहमति हो तब प्रदर्शन रोक देना चाहिए और संवाद को उसकी जगह लेनी चाहिए. उन्होंने कहा, “कुछ लोग अब भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके बारे में बात न करना ही बेहतर होगा. ” मराठा आरक्षण के मुद्दे पर अपना प्रदर्शन टालने और सरकार से बातचीत के लिये सहमति जताने पर मुख्यमंत्री ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य संभाजीराजे छत्रपति की प्रशंसा की.
भाजपा शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा आरक्षण तथा ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। शनिवार को पार्टी ने स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण बहाल किये जाने को लेकर प्रदेश भर में ‘चक्का जाम’ किया.
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