लखनऊ, आठ जुलाई उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री और लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति के संरक्षक यशवंत सिंह ने सोमवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र का इतिहास पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के बिना पूर्ण नहीं हो सकता।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यशवंत सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की 17वीं पुण्यतिथि के अवसर पर यहां 'चन्द्रशेखर चबूतरा' पर आयोजित स्मृति सभा को संबोधित करते हुए कहा, “जो लोग लोकतंत्र में यकीन करते हैं, उन्हें चन्द्रशेखर को ठीक से पढ़ना चाहिए और उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।”
सिंह ने 1974-1975 की याद दिलाते हुए कहा, ''कांग्रेस में बड़े-बड़े नेता थे और इंदिरा गांधी की नीतियों से सहमत नहीं थे। 1977 में चुनाव घोषित होने के बाद कई ने कांग्रेस से इस्तीफा भी दिया लेकिन 1974-75 में उनमें इंदिरा गांधी को टोकने की हिम्मत नहीं थी।''
रायबरेली से इंदिरा गांधी के निर्वाचन पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का एक फैसला आने के बाद देश में 1975 में आपातकाल लागू कर दिया गया था।
पूर्व मंत्री ने कहा, ''ऐसे कठिन काल में चन्द्रशेखर ने इंदिरा गांधी से बार-बार कहा कि जयप्रकाश जी संत हैं, उनसे बात करिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस देश में सत्ता जब संतों से टकराती है तो चूर-चूर हो जाती है।''
सिंह ने कहा, ''चन्द्रशेखर ने देश पर थोपे गए आपातकाल के खिलाफ जेल की यातना सहीं लेकिन वह झुके नहीं।''
स्मृति सभा की अध्यक्षता लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने की।
इस अवसर पर विधायक बेचई सरोज, विधायक सुधाकर सिंह, पूर्व विधायक कुबेर भंडारी, वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र त्रिपाठी, राधेकृष्ण, सामाजिक सेनानी जगदीश राय समेत कई प्रमुख लोगों ने चन्द्रशेखर को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)