नयी दिल्ली, तीन मई दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया गया है कि शिक्षा निदेशालय (डीओई) की विद्यालयों में सुरक्षा के मामले में ‘‘कोई लापरवाही नहीं बरतने की नीति’’ है और इसके अधिकारी बम की धमकी सहित आपदाओं से निपटने के दिशानिर्देशों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।
डीओई ने 29 अप्रैल की तिथि वाली एक स्थिति रिपोर्ट में कहा कि उसने संस्थानों को अपने सुरक्षा उपायों को "बढ़ाने" के लिए कई निर्देश जारी किए हैं, जिसमें 16 अप्रैल का एहतियाती उपायों पर एक परिपत्र और बम धमकी के मामलों पर स्कूल प्राधिकारियों की भूमिका भी शामिल है।
डीओई का रुख विद्यालयों में बम धमकियों को लेकर चिंता जताने वाली एक याचिका के जवाब में दायर किया गया।
स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है, "शिक्षा निदेशालय के अधिकारी इस तरह के बम खतरों सहित किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने संबंधी दिशानिर्देशों और परिपत्रों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।"
इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, बम की धमकी कानून और व्यवस्था का मुद्दा है और विशेष रूप से, पुलिस और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों से संबंधित है...विभाग ने विद्यालयों को बम की धमकियों से निपटने के मुद्दे पर 16.04.2024 को एक विशिष्ट परिपत्र जारी किया है और एहतियाती उपायों और स्कूल प्राधिकारियों की भूमिकाओं पर दिशानिर्देश जारी किए हैं।’’
पेशे से वकील याचिकाकर्ता अर्पित भार्गव ने 2023 में डीपीएस, मथुरा रोड में बम की अफवाह के मद्देनजर याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने शुक्रवार को याचिका को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी के माध्यम से दायर स्थिति रिपोर्ट में, डीओई ने बताया कि उसने विद्यालयों के छात्रों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा योजना पर चर्चा करने के लिए पिछले महीने एक आपात बैठक बुलाई थी।
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