लखनऊ, 31 जनवरी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने डॉ. शकुन्तला मिश्रा विश्वविद्यालय के विधि अधिकारी और पांच शिक्षकों की बहाली के एकल पीठ के आदेश पर मुहर लगा दी।
अदालत ने कहा कि विधि अधिकारी आलोक मिश्रा और अन्य पांच शिक्षकों को पिछला वेतन और अन्य लाभ भी पाने का हक है क्योंकि विश्वविद्यालय ने उन्हें बेवजह हटाया था, जिसमें उनकी कोई गलती नहीं थी।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओपी शुक्ला की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय की ओर से दाखिल विशेष अपीलों को खारिज कर एकल पीठ के मई 2023 के आदेश पर मुहर लगाते हुए यह आदेश पारित किया।
अदालत में सुनवाई के दौरान सामने आया कि विधि अधिकारी आलेक मिश्रा तथा शिक्षक डॉ. राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव, डॉ. आद्या शक्ति राय, अवनीश चंद्र मिश्रा, विपिन कुमार पांडे और मृत्युंजय मिश्रा की नियुक्ति विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. निशीथ राय के कार्यकाल के दौरान हुई थी और कुलपति बदलते ही उन्हें सेवा से हटा दिया गया।
विधि अधिकारी और शिक्षकों ने अलग अलग रिट याचिकाएं दाखिल करके विश्वविद्यालय के निर्णय के एकल पीठ के सामने चुनौती दी थी।
एकल पीठ ने गत मई 2023 में याचिकायें मंजूर कर विश्वविद्यालय को आदेश देते हुए सभी का वेतन बहाल करने का आदेश दिया था। विश्वविद्यालय ने इस आदेश को चुनौती दी थी, जिसे दो न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा कि तथ्यों से स्पष्ट है कि विधि अधिकारी या शिक्षकों ने विश्वविद्यालय के साथ कोई धोखा नहीं किया और न ही अपनी शैक्षिक योग्यता छिपायी थी।
इससे पहले विश्वविद्यालय की विशेष अपीलों का विरोध करते हुए अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने कहा था कि विधि अधिकारी व शिक्षकों को बिना उचित जाचं किये दुर्भावनावश सेवा से हटा दिया गया था।
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