देश की खबरें | आतंकी वित्तपोषण: अदालत ने एनएससीएन-आईएम नेता अलेमला जमीर को जमानत देने से इनकार किया

नयी दिल्ली, 14 जनवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकी वित्तपोषण के एक मामले में नगा विद्रोही संगठन एनएससीएन-आईएम की स्वयंभू ‘‘कैबिनेट मंत्री’’ अलेमला जमीर को जमानत देने से इनकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की पीठ ने 13 जनवरी को कहा कि जमीर के खिलाफ आरोपों, सबूतों और उसके पति के फरार होने के तथ्य के मद्देनजर उसकी जमानत याचिका को दूसरी बार खारिज किए जाने के आदेश के खिलाफ अपील में कोई दम नहीं है।

आरोपी ने कहा कि उसकी उम्र लगभग 51 वर्ष है और वह लगभग 4.5 साल जेल में बिता चुकी है तथा अभियोजन पक्ष उसके मामले की सुनवाई के निष्कर्ष के बारे में अनिश्चित है।

जमीर के भागने का खतरा होने का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि वह एनएससीएन-आईएम में कथित उच्च पद पर है और गवाहों को प्रभावित करने एवं सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की स्थिति में भी है।

आदेश में कहा गया, ‘‘तदनुसार, वर्तमान अपील खारिज की जाती है।’’

जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि जमीर और अन्य आरोपियों ने मिलकर आतंकी वित्तपोषण के वास्ते धन उगाही करने के लिए ‘नगा आर्मी’ के सशस्त्र कैडेट के माध्यम से एक नेटवर्क स्थापित किया।

जमीर ने कहा कि उसके खिलाफ कथित गंभीर आरोपों के संबंध में पर्याप्त सबूत नहीं हैं।

फैसले में अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की जांच से पता चला है कि एनएससीएन-आईएम अत्याधुनिक हथियारों से लैस एक आतंकवादी संगठन है और एक समानांतर सरकार चलाता है।

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