हैदराबाद, तीन मई तेलंगाना उच्च न्यायालय ने एक आईएएस अधिकारी को साप्ताहिक अंग्रेजी पत्रिका के खिलाफ मानहानि का मुकदमा लड़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई 15 लाख रुपये की राशि वापस करने का निर्देश दिया है।
तेलंगाना सरकार के एक आदेश (जीओ) को चुनौती देते हुए अगस्त 2015 में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। जीओ में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी स्मिता सभरवाल को एक खबर प्रकाशित करने को लेकर पत्रिका के प्रबंधन के खिलाफ जुर्माने की मांग के लिए दीवानी मुकदमा दायर करने के वास्ते अदालती शुल्क और खर्च के भुगतान की खातिर राशि देने का आदेश दिया गया था।
सभरवाल ने आरोप लगाया था कि खबर और उसके साथ प्रकाशित एक कार्टून के जरिये उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति अभिनंद कुमार शाविली की खंडपीठ ने हाल ही में पारित आदेश में सभरवाल को फैसले की तारीख से 90 दिनों के भीतर सरकार द्वारा स्वीकृत 15 लाख रुपये वापस करने का निर्देश दिया।
आदेश के मुताबिक, अगर अधिकारी द्वारा उक्त राशि 90 दिनों के भीतर वापस नहीं की जाती है तो राज्य उनसे 30 दिनों के भीतर इसे वसूल करेगा।
इसमें कहा गया है कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें आईएएस अधिकारी ने एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और पत्रिका द्वारा प्रकाशित लेख में अधिकारी व मुख्यमंत्री के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की गई थीं।
आदेश के अनुसार, आईएएस अधिकारी जुर्माने का दावा करने के लिए एक मुकदमा दायर करना चाहती थीं और यह निश्चित रूप से पत्रिका के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई नहीं है, लिहाजा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 282 को ध्यान में रखते हुए सभरवाल को ‘‘किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अनुदान’’ शब्दावली के तहत मुकदमा लड़ने के वास्ते राशि नहीं दी जा सकती है।
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