देश की खबरें | तेलंगाना विधानसभा ने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी, भारत रत्न देने का आग्रह किया

हैदराबाद, 30 दिसंबर तेलंगाना विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का केंद्र सरकार से आग्रह किया।

विधानसभा अध्यक्ष जी. प्रसाद कुमार द्वारा सुबह 10 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू करने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया और 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन में दिवंगत नेता द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए आभार जताया।

बैठक में चर्चा के बाद पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सदन ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र से सिंह को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का अनुरोध किया।

सभा ने दिवंगत नेता के सम्मान में दो मिनट का मौन भी रखा।

विपक्ष के नेता के. चंद्रशेखर राव सत्र में शामिल नहीं हुए।

भारत में आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन सिंह (92) का 26 दिसंबर को नयी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया।

इससे पहले, प्रस्ताव पेश करते हुए रेवंत रेड्डी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है।

रेड्डी ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा लाई गई रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा), सूचना का अधिकार अधिनियम और भूमि अधिग्रहण अधिनियम समेत कई ऐतिहासिक कानूनों का उल्लेख किया।

रेड्डी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री एक महान नेता थे, जिन्होंने अपने नेतृत्व में तेलंगाना के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हैदराबाद में मनमोहन सिंह की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया है।

उपमुख्यमंत्री भट्टी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री द्वारा पेश प्रस्ताव का समर्थन करते हैं।

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की ओर से इसके कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक के. टी. रामाराव ने प्रस्ताव का समर्थन किया।

उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी अनुरोध किया कि विधानसभा को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से राष्ट्रीय राजधानी में पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव का स्मारक बनाने का आग्रह करना चाहिए।

सदन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता महेश्वर रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी भी शोक प्रस्ताव का समर्थन करती है।

रेड्डी ने राहुल गांधी के बारे में कुछ टिप्पणियां कीं, जिस पर मंत्री श्रीधर बाबू ने आपत्ति जताई।

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