नयी दिल्ली, 19 सितंबर : दूरसंचार कंपनियों को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सहित कई कंपनियों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) में कथित त्रुटियों को सुधारने का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने दूरसंचार कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें सुधारात्मक याचिकाओं को खुली अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था.
सुधारात्मक याचिका सर्वोच्च न्यायालय में अंतिम पड़ाव होती है, उसके बाद इस अदालत में गुहार लगाने का कोई कानूनी रास्ता नहीं होता. इस पर आम तौर पर बंद कमरे में विचार किया जाता है, जब तक कि प्रथम दृष्टया फैसले पर पुनर्विचार के लिए मामला नहीं बन जाता. पीठ ने 30 अगस्त को आदेश सुनाया था जो बृहस्पतिवार को सार्वजनिक किया गया. न्यायालय ने कहा, ‘‘ सुधारात्मक याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने का आवेदन खारिज किया जाता है. हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर गौर किया है. हमारा मानना है कि रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा में इस अदालत के फैसले में बताए गए मापदंडों के भीतर कोई मामला नहीं बनता है. सुधारात्मक याचिकाएं खारिज की जाती हैं.’’ यह भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर फिर से राज्य बनेगा, भाजपा ही इस प्रतिबद्धता को पूरा करेगी: प्रधानमंत्री मोदी
शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ अक्टूबर को कुछ दूरसंचार कंपनियों की दलीलों गौर किया था. इनमें समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया मुद्दे पर उनकी याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था. न्यायालय ने इससे पहले जुलाई 2021 में एजीआर बकाया की मांग में त्रुटियों को सुधारने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. दूरसंचार कंपनियों ने शीर्ष अदालत का रुख कर दावा किया था कि एजीआर बकाया राशि तय करने में कई त्रुटियां थीं, जो कुल एक लाख करोड़ रुपये से अधिक थीं













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