नयी दिल्ली, दो दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद द्रमुक नेता वी. सेंथिल बालाजी को तमिलनाडु सरकार में मंत्री बनाये जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को मामले में गवाहों पर ‘‘दबाव’’ डालने की आशंका जताने वाली याचिका पर सुनवाई करने को लेकर सहमति व्यक्त की।
यह कथित धन शोधन मामला नौकरी के बदले नकदी ‘घोटाले’ से संबंधित है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने हालांकि, एक शिकायतकर्ता द्वारा दायर याचिका पर बालाजी को जमानत देने के शीर्ष अदालत के 26 सितंबर के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
पीठ ने बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से पूछा, ‘‘हमने आपको जमानत दे दी और कुछ दिनों बाद आप मंत्री बन गए। कोई भी यह सोच सकता है कि अब जब आप वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री हैं, तो गवाहों पर दबाव होगा। यह क्या हो रहा है?’’
हालांकि, पीठ ने कहा कि वह 26 सितंबर के आदेश को वापस नहीं लेगी।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि अदालत इस मामले में कोई नोटिस जारी नहीं करेगी, बल्कि जांच का दायरा यहां तक सीमित रखेगी कि क्या गवाहों पर मामले में गवाही देने के संबंध में कोई ‘‘दबाव’’ तो नहीं होगा।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘आशंका यह है कि दूसरे प्रतिवादी (बालाजी) के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, गवाह ऐसे व्यक्ति के खिलाफ गवाही देने की मानसिक स्थिति में नहीं होंगे, जो कैबिनेट मंत्री का पद संभाल रहा है। यह एकमात्र पहलू है जिस पर प्रथम दृष्टया हम विचार करने के लिए इच्छुक हैं।’’
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर तय की है।
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