अहमदाबाद, तीन अक्टूबर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा है कि लक्षित हिंसा के मामलों में देश ने शायद ही कभी राज्य की जवाबदेही देखी हो।
सीतलवाड़ ने रविवार को यहां गिरीश पटेल स्मरणांजलि व्याख्यान देते हुए कहा कि लक्षित हिंसा की कहानी के आधार की शुरुआत भड़काऊ भाषणों और नफरती लेखन के साथ होती है।
उन्होंने कहा कि ऐसी हिंसा के पीड़ितों को अपराधियों के लिए सजा सुनिश्चित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सीतलवाड़ ने कहा, ‘‘नतीजा क्या है? हमारे देश में राज्य की जवाबदेही विरले ही होती है। 1984, 1992 और 2002 (दंगों) के मामलों में कितने लोगों को सजा दी गई है? ये सवाल हमारे सामने हैं।’’
उन्होंने कहा कि गहरे ध्रुवीकरण के मुद्दे पर जनता के बीच काम करना आसान नहीं है और इस पर सोशल मीडिया का प्रभाव भी बहुत अधिक है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि देश में जो प्रक्रिया देखी जा रही है, वह यह है कि हिंसा को अंजाम देने वाले लोगों को सत्ताधारी पार्टी का समर्थन मिल रहा है और इसका एक पुराना इतिहास है।
उन्होंने दावा किया कि छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जो हुआ, वह खुद को दोहराता हुआ प्रतीत होता है।
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