देश की खबरें | प्लास्टिक प्रदूषण संधि को सीबीडीआर सिद्धांत एवं राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप होना चाहिए : भारत

नयी दिल्ली, 28 नवंबर भारत ने कहा है कि प्लास्टिक प्रदूषण पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौते में प्रत्येक देश की राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, विकास के अधिकार को बरकरार रखा जाना चाहिए तथा यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि देशों की अपनी क्षमताओं के आधार पर अलग-अलग जिम्मेदारियां हैं।

इस अंतरराष्ट्रीय संधि पर वर्तमान में दक्षिण कोरिया के बुसान में चर्चा जारी है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए) ने 2022 में वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव अपनाया था।

इससे अंतर सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी) का गठन हुआ, जिसे 2024 तक प्लास्टिक प्रदूषण पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता विकसित करने का काम सौंपा गया था।

आईएनसी ने 2022 के बाद से उरुग्वे, फ्रांस, कनाडा और केन्या में चार सत्र आयोजित किए हैं। बुसान में एक दिसंबर तक चलने वाले मौजूदा सत्र में समझौते को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। इसकी शुरूआत 25 नवंबर को हुयी थी।

अंतिम दौर की वार्ता में भाग लेने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि नयी संधि में बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम सम्मेलन में बनी सहमतियों (जो खतरनाक रसायनों और कचरे के सुरक्षित प्रबंधन से संबंधित है) या विश्व स्वास्थ्य संगठन के काम का दोहराव नहीं होना चाहिए।

भारत ने कहा कि इसके बजाय, संधि को उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो इन समझौतों के दायरे में नहीं लाए गए हैं ।

भारत ने कहा कि संधि ‘साझा लेकिन पृथक जिम्मेदारियों’ के सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिए।

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