नयी दिल्ली, 14 अप्रैल सेंट स्टीफेंस अस्पताल का प्रबंधन कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद गुड़गांव स्थित अपनी इकाई से बर्खास्त किये गये कुछ कर्मचारियों को दो महीने के वेतन के बराबर राशि देने पर सहमत हो गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय में अस्पताल के प्रबंधन ने इन कर्मचारियों को मार्च और अप्रैल महीने के वेतन के बराबर धनराशि का भुगतान करने पर सहमति दी।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने सोमवार को कहा कि अस्पताल इन कर्मचारियों को दो महीने के वेतन के बराबर धनराशि का भुगतान करने के अपने बयान के प्रति बाध्य होगा। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले को चार मई के लिये सूचीबद्ध कर दिया।
अदालत ने अस्पताल की गुड़गांव इकाई को बंद किये जाने के बाद 30 मार्च को बर्खास्त किये गये इन कर्मचारियों की याचिका पर यह आदेश दिया।
अदालत में केन्द्रीय श्रम मंत्रालय और गृह मंत्रालय के स्थाई वकील अनुराग अहलूवालिया ने याचिकाकर्ताओं का समर्थन किया और कहा कि जब देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है तो ऐसे समय में उनकी सेवाओं को खत्म नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होने कहा कि इस समय स्वास्थ सेवाओं में काम करने वाले लोगों को बहुत अधिक आवश्यकता है।
दूसरी ओर, अस्पताल प्रबंधन ने दलील दी कि इन बर्खास्तगी का कोविड-19 महामारी से कोई लेना देना नहीं है और यह निर्णय अस्थाई रूप से कार्यरत या ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों की सेवायें खत्म नहीं करने संबंधी सरकार का परामर्श जारी होने से पहले ही मार्च के प्रथम सप्ताह में लिया जा चुका था।
गुड़गांव में स्थित सेंट स्टीफेंस अस्पताल की इकाई में सहयोगी कर्मचारी के रूप में कार्य करने वाले पांच कर्मचारियों की सेवायें प्रबंधन ने खत्म कर दी थी। अस्पताल का तर्क था कि उसने किसी भी कर्मचारी की सेवायें खत्म नहीं की हैं बल्कि गुड़गांव स्थित अपनी इकाई बंद की है।
इन बर्खास्त कर्मचारियों की दलील थी कि श्रम मंत्रालय की 20 और 23 मार्च की सलाह का उल्लंघन करके यह निर्णय लिया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनकी सेवायें समाप्त किये जाने की वजह से उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है।
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