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विदेश की खबरें | दक्षिण अफ्रीका: बचावकर्मियों ने खदान से जीवित बचे लोगों और शवों को बाहर निकाला

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एजेंसी न्यूज Bhasha|
विदेश की खबरें | दक्षिण अफ्रीका: बचावकर्मियों ने खदान से जीवित बचे लोगों और शवों को बाहर निकाला
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

माना जा रहा है कि 100 से अधिक लोग भूख या निर्जलीकरण से जान गंवा चुके हैं।

पुलिस ने बताया कि शुक्रवार से बफेल्सफोंटेन सोने की खदान से कम से कम 24 शव और 37 जीवित लोग निकाले जा चुके हैं, लेकिन नागरिक संगठनों और खनिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों का कहना है कि माना जाता है कि 500 ​​से अधिक लोग अब भी उसमें फंसे हैं, जिनमें से कई बीमार और भूखे हैं।

पुलिस ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि खदान में अभी कितने लोग हैं, लेकिन यह संख्या सैकड़ों में होने की संभावना है।

जोहानिसबर्ग के दक्षिण-पश्चिम में स्टिलफोंटेन शहर के पास स्थित खदान, नवंबर से ही पुलिस, खनिकों और स्थानीय समुदाय के सदस्यों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध का स्थल रही है, जब प्राधिकारियों ने खनिकों को बाहर निकालने के लिए पहली बार अभियान चलाया था। खनिकों के रिश्तेदारों का कहना है कि उनमें से कुछ जुलाई से ही नीचे खदान में हैं।

प्राधिकारियों का कहना है कि खनिक बाहर आने में सक्षम हैं, लेकिन वे बाहर निकलने से मना कर रहे हैं। हालांकि इसका अधिकार समूहों और कार्यकर्ताओं ने खंडन किया है और पुलिस की रणनीति की तीखी आलोचना की है जिसके तहत उसने पिछले साल खनिकों को बाहर निकालने के प्रयास में सतह से उनके भोजन और पानी की आपूर्ति काट दी थी।

नागरिक समूहों ने प्राधिकारियों को खननकर्ताओं को भोजन, पानी और दवा भेजने की अनुमति देने के लिए मजबूर करने के वास्ते एक अदालती मामले में जीत हासिल की थी। हालांकि समूहों का कहना है कि आपूर्ति पर्याप्त नहीं है और कई खनिक भूख से मर रहे हैं तथा बाहर निकलने में असमर्थ हैं, क्योंकि शाफ्ट बहुत खड़ी है और रस्सियां और चरखी प्रणाली जो वे अंदर जाने के लिए इस्तेमाल करते थे, हटा दी गई हैं। उनका कहना है कि उचित बचाव अभियान महीनों पहले शुरू किया जाना चाहिए था।

नागरिक और अधिकार समूहों के एक संगठन, ‘साउथ अफ्रीकन नेशनल सिविक्स आर्गेनाइजेशन’ के क्षेत्रीय अध्यक्ष मजुकिसी जाम ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि यह अभियान चलाया जा रहा है, हालांकि हमारा मानना ​​है कि यदि यह पहले किया गया होता, तो एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती।’’

प्राधिकारी वर्षों से अनौपचारिक खनन से जूझ रहे हैं।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

विदेश की खबरें | दक्षिण अफ्रीका: बचावकर्मियों ने खदान से जीवित बचे लोगों और शवों को बाहर निकाला
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

माना जा रहा है कि 100 से अधिक लोग भूख या निर्जलीकरण से जान गंवा चुके हैं।

पुलिस ने बताया कि शुक्रवार से बफेल्सफोंटेन सोने की खदान से कम से कम 24 शव और 37 जीवित लोग निकाले जा चुके हैं, लेकिन नागरिक संगठनों और खनिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों का कहना है कि माना जाता है कि 500 ​​से अधिक लोग अब भी उसमें फंसे हैं, जिनमें से कई बीमार और भूखे हैं।

पुलिस ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि खदान में अभी कितने लोग हैं, लेकिन यह संख्या सैकड़ों में होने की संभावना है।

जोहानिसबर्ग के दक्षिण-पश्चिम में स्टिलफोंटेन शहर के पास स्थित खदान, नवंबर से ही पुलिस, खनिकों और स्थानीय समुदाय के सदस्यों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध का स्थल रही है, जब प्राधिकारियों ने खनिकों को बाहर निकालने के लिए पहली बार अभियान चलाया था। खनिकों के रिश्तेदारों का कहना है कि उनमें से कुछ जुलाई से ही नीचे खदान में हैं।

प्राधिकारियों का कहना है कि खनिक बाहर आने में सक्षम हैं, लेकिन वे बाहर निकलने से मना कर रहे हैं। हालांकि इसका अधिकार समूहों और कार्यकर्ताओं ने खंडन किया है और पुलिस की रणनीति की तीखी आलोचना की है जिसके तहत उसने पिछले साल खनिकों को बाहर निकालने के प्रयास में सतह से उनके भोजन और पानी की आपूर्ति काट दी थी।

नागरिक समूहों ने प्राधिकारियों को खननकर्ताओं को भोजन, पानी और दवा भेजने की अनुमति देने के लिए मजबूर करने के वास्ते एक अदालती मामले में जीत हासिल की थी। हालांकि समूहों का कहना है कि आपूर्ति पर्याप्त नहीं है और कई खनिक भूख से मर रहे हैं तथा बाहर निकलने में असमर्थ हैं, क्योंकि शाफ्ट बहुत खड़ी है और रस्सियां और चरखी प्रणाली जो वे अंदर जाने के लिए इस्तेमाल करते थे, हटा दी गई हैं। उनका कहना है कि उचित बचाव अभियान महीनों पहले शुरू किया जाना चाहिए था।

नागरिक और अधिकार समूहों के एक संगठन, ‘साउथ अफ्रीकन नेशनल सिविक्स आर्गेनाइजेशन’ के क्षेत्रीय अध्यक्ष मजुकिसी जाम ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि यह अभियान चलाया जा रहा है, हालांकि हमारा मानना ​​है कि यदि यह पहले किया गया होता, तो एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती।’’

प्राधिकारी वर्षों से अनौपचारिक खनन से जूझ रहे हैं।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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