नयी दिल्ली, 25 जुलाई : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड के संथाल परगना और बिहार एवं पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण मुस्लिम आबादी बढ़ने तथा हिंदुओं के गांव खाली होने का दावा करते हुए सरकार से इन क्षेत्रों को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की. लोकसभा में शून्यकाल इस मुद्दे को उठाते हुए झारखंड के गोड्डा से सांसद दुबे ने कहा कि साल 2000 में बिहार से झारखंड के अलग होने के समय संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की आबादी 36 प्रतिशत थी जो आज 26 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, ‘‘10 प्रतिशत आदिवासी कहां खो गए, कहां गायब हो गए. सदन कभी इसकी चिंता नहीं करता. झारखंड की सरकार भी कोई कार्रवाई नहीं करती.’’ दुबे ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठिये उनके क्षेत्र में आकर आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू, मुसलमान का सवाल नहीं है. मेरे संसदीय क्षेत्र की एक विधानसभा में 267 बूथ पर मुसलमानों की आबादी 117 प्रतिशत बढ़ गई. पूरे झारखंड में 25 विधानसभाओं मे मुस्लिम आबादी 110 से 123 प्रतिशत तक बढ़ी है.’’ भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि झारखंड के पांकुर में पिछले दिनों दंगा हुआ क्योंकि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और माल्दा से आए लोगों ने तथा बंगाल पुलिस ने स्थानीय हिंदुओं को भगाया. उन्होंने कहा, ‘‘हिंदुओं के गांव के गांव खाली हो रहे हैं. मैं ऑन रिकॉर्ड यह बात कह रहा हूं. एक भी बात गलत है तो इस्तीफा देने को तैयार हूं.’’ दुबे ने कहा कि बंगाल से आए लोगों ने जुल्म किया और झारखंड पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. यह भी पढ़ें : यूपीएससी, एसएसी की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक की किसी घटना की सूचना नहीं : सरकार
उन्होंने कहा कि इन सब घटनाक्रम को देखते हुए झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र, पश्चिम बंगाल के माल्दा और मुर्शिदाबाद तथा बिहार के अररिया, किशनगंज और कटिहार को मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बना देना चाहिए और यहां राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू की जानी चाहिए, अन्यथा ‘‘यहां से हिंदू खाली हो जाएंगे’’. उन्होंने कहा कि इससे भी पहले सदन की एक समिति क्षेत्र में भेजी जाए जिसमें तृणमूल कांग्रेस के सर्वाधिक सदस्यों को रखा जाए. दुबे ने यह दावा भी किया कि झारखंड उच्च न्यायालय ने हाल में एक आदेश में कहा है कि उक्त क्षेत्रों में मुसलमानों की आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है और केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने मांग की कि विधि आयोग की 2010 की 235वीं रिपोर्ट को लागू किया जाए जिसमें सिफारिश की गई है कि धर्मांतरण और दूसरे धर्म के लोगों से शादी के लिए अनुमति जरूरी है.