जरुरी जानकारी | वैश्विक कच्ची चीनी की कीमतों में गिरावट से नये निर्यात अनुबंधों का काम धीमा: इस्मा

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर उद्योग संगठन इस्मा ने सोमवार को कहा कि कच्ची चीनी की वैश्विक कीमतों में गिरावट आने से चीनी मिलों द्वारा नए निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर का काम ‘थोड़ा धीमा’ पड़ा है। हालांकि चीनी के निर्यात सौदों के लिए अभी भी समय बचा है।

अक्टूबर से शुरू हुए 2021-22 सत्र के पहले दो महीनों में, चीनी मिलों ने एक साल पहले की अवधि के तीन लाख टन की तुलना में इस बार 6.5 लाख टन से अधिक चीनी का निर्यात किया है। चीनी मिलों ने चालू सत्र में अब तक 37 लाख टन के निर्यात का अनुबंध किया है।

हालांकि, इनमें से अधिकतर अनुबंधों पर हस्ताक्षर तब किए गए जब वैश्विक स्तर पर कच्ची चीनी की कीमतें 20-21 सेंट (मौजूदा विनिमय दर पर 15 रुपये से अधिक) प्रति पाउंड (एक पाउंड लगभग 0.45 किलो) के दायरे में थीं।

भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने एक बयान में कहा, ‘‘कच्ची चीनी की वैश्विक कीमतों में लगभग 19 सेंट प्रति पाउंड की गिरावट के कारण पिछले एक पखवाड़े के दौरान आगे के निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर का काम थोड़ा धीमा हो गया है।’’

इस्मा ने कहा कि मौजूदा समय में, वैश्विक कीमतें कुछ हद तक ठीक हो गई हैं और 19.5 सेंट प्रति पाउंड के आसपास हैं लेकिन भारतीय चीनी के लिए निर्यात अभी भी लाभकारी नहीं हुआ है।

एक आम राय है कि चूंकि चालू सत्र में अभी भी नौ महीने से अधिक का समय बचा है, इसलिए चीनी मिलों के पास निर्यात अनुबंध करने के लिए एक उपयुक्त समय की प्रतीक्षा करने के लिए पर्याप्त समय है।

इस्मा ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार घरानों की भी राय है कि यदि दुनिया चाहती है कि भारत अगले 7-8 महीनों में कुछ अतिरिक्त लाख टन चीनी का निर्यात करे तो (चीनी) की कीमतों को मौजूदा स्तरों से बढ़ने की जरुरत होगी।’’

चालू 2021-22 सत्र में 15 दिसंबर तक देश का चीनी उत्पादन 77.91 लाख टन तक पहुंच गया, जो एक साल पहले के 73.34 लाख टन से अधिक है।

इस्मा ने कहा, ‘‘देश के पश्चिमी क्षेत्र में गन्ने की पेराई पहले शुरू होने के कारण चालू वर्ष का उत्पादन थोड़ा अधिक है।’’

हालांकि, देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में मौजूदा सत्र के 15 दिसंबर तक उत्पादन 19.83 लाख टन रहा। यह पिछले सत्र की समान अवधि में 22.60 लाख टन की तुलना में कम है।

देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन उक्त अवधि में पहले के 26.96 लाख टन से बढ़कर 31.92 लाख टन हो गया।

इस्मा ने कहा कि महाराष्ट्र में अधिक उत्पादन का कारण, राज्य में पेराई का काम जल्दी शुरू होने और मौजूदा सत्र में गन्ने की अधिक उपलब्धता का होना है।

एथेनॉल के बारे में इस्मा ने कहा कि नवंबर में समाप्त हुए 2020-21 एथेनॉल सत्र के दौरान 302.30 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की गई, जिससे 8.1 प्रतिशत का अखिल भारतीय औसत सम्मिश्रण स्तर प्राप्त हुआ।

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