नयी दिल्ली, एक जनवरी उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के प्रस्ताव की सराहना करते हुए जाने-माने वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा है कि इसे जल्द ही लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसी न्यायिक नियुक्तियां उन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करती हैं जिनकी मूलत: परिकल्पना की गई थी।
सिंघवी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम में विचाराधीन दोनों प्रस्ताव सही हैं तो वह सुधारवादी प्रतीत होते हैं तथा अच्छे हैं और उन्हें जल्द ही लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों की सच्चाई यह है कि वह अस्पष्ट हैं तथा उन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करती जिनकी मूलत: कल्पना की गई थी।
सिंघवी ने कहा कि एक दूसरे से लाभ पाने के लिए मदद करना, ‘अंकल जज’, पारिवारिक वंश आदि चीजें दूसरों का मनोबल गिराती हैं और संस्था को बदनाम करती हैं।
उन्होंने कहा कि लेकिन कहना आसान है, करना मुश्किल: अब तक ऐसे वकीलों को उन उच्च न्यायालयों में वकालत करने से रोका नहीं जा सका है जहां न्यायाधीश उनके रिश्तेदार हैं।
कांग्रेस नेता ने बताया कि उन्होंने दशकों पहले कहा था कि कॉलेजियम न्यायाधीशों को अपना वेश बदलकर उन न्यायाधीशों या वकीलों की अदालतों में बैठना चाहिए जिनकी पदोन्नति पर विचार किया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया है कि उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ विचार कर सकता है।
यदि इस प्रस्ताव पर अमल किया गया तो ऐसी नियुक्तियों में अधिक समावेशिता आएगी और न्यायिक नियुक्तियों में वंश का योग्यता से अधिक महत्व होने की धारणा समाप्त हो जाएगी।
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