नयी दिल्ली, 14 जनवरी : केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने लोगों से इस प्रस्ताव के समर्थन में आगे आने का आह्वान किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका ‘पांचजन्य’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चौहान ने कहा कि चुनाव के समय पूरी सरकारी मशीनरी ठप हो जाती है और बार-बार होने वाले चुनाव सरकारों के लिए सार्वजनिक निर्णय लेने में एक बड़ा व्यवधान बन गए हैं.
संयुक्त संसदीय समिति एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव की समीक्षा कर रही है. इस प्रस्ताव के बारे में पूछने पर चौहान ने कहा, ‘‘हमारे संविधान निर्माताओं ने हर पांच साल में चुनाव का प्रावधान किया था, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि अनुच्छेद 356 का इतनी बार दुरुपयोग किया जाएगा. वर्ष 1966 तक एक साथ चुनाव होते थे, हर जगह कांग्रेस की सरकारें थीं. लेकिन जब अन्य पार्टियां सत्ता में आने लगीं तो उन्हें उखाड़ फेंका गया.’’ यह भी पढ़ें : केंद्र यूजीसी नियमों के जरिये राज्य विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को ‘कमजोर’ कर रहा: विजयन का आरोप
‘‘फिलहाल हर समय कोई न कोई चुनाव होता रहता है. अब दिल्ली विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है, इसके बाद बिहार में होगा. राजनीतिक दल 365 दिन केवल चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, वे जनहित में काम ही नहीं कर पा रहे हैं.’’ पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड में भाजपा के चुनाव प्रभारी रहे चौहान ने कहा, ‘‘कृषि मंत्री को अपना काम छोड़कर राज्य के चुनावों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ेगा... इसमें कितना समय बर्बाद होता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या चुनाव के अलावा देश में कुछ और नहीं होना चाहिए? ये लगातार चुनाव भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं. आज की स्थिति को देखते हुए, यह (एक साथ चुनाव) एक उचित कदम है.’’
लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को लेकर कई दलों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि उन सभी को सहमत होना चाहिए क्योंकि यह कदम राष्ट्रीय हित में है. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय हित में सोचने वाले किसी भी देशभक्त को एहसास होगा कि लगातार चुनाव देश के लिए आपदा बन गए हैं. अगर चुनाव पांच साल में एक बार होते हैं, तो लोग भी उत्साहित होंगे.’’ चौहान ने कहा कि मतदाता परिपक्व हैं और अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ साथ कराए जाते हैं तो वे अलग अलग दलों को वोट दे सकते हैं. उन्होंने ओडिशा का उदाहरण भी दिया. दिल्ली में पांच फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए चौहान ने विश्वास जताया कि इस बार भाजपा जीत दर्ज करेगी.