नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर देश में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी सितंबर महीने में भी बनी रही। कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये लगायी गयी पाबंदियों में ढील के साथ मांग बढ़ने से गतिविधिययों में तेजी रही। हालांकि, गतिविधियों में तेजी अगस्त के 18 महीने के उच्चस्तर से कम रहीं। मंगलवार को जारी एक मासिक सर्वे में यह कहा गया।
मौसमी रूप से समायोजित भारत सेवा व्यापार गतिविधियां सूचकांक सितंबर में मासिक आधार पर कम होकर 55.2 रहा, जो अगस्त में 56.7 था। हालांकि, इस कमी के बावजूद यह दीर्घकालीन औसत के ऊपर बना हुआ है।
सर्वे के अनुसार, ‘‘अगस्त के मुकाबले कमी के बावजूद गतिविधियां तेज रहीं और यह फरवरी, 2020 के बाद से दूसरी सबसे तेज वृद्धि है।’’
मांग में तेजी के संकेत को देखते हुए घरेलू सेवा प्रदाताओं ने सितंबर महीने में कर्मचारियों की संख्या बढ़ायी। इस वृद्धि के साथ रोजगार में पिछले नौ महीने से आ रही कमी का सिलसिला थम गया। हालांकि, रोजगार में वृद्धि ज्यादा नहीं रही। कुछ इकाइयों ने संकेत दिया कि उनके पास काम को पूरा करने के लिये पर्याप्त कार्यबल हैं।
यह लगातार दूसरा महीना है जब सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी रही। ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) के तहत 50 से ऊपर गतिविधियों में तेजी को सूचित करता है जबकि 50 से नीचे गिरावट को बताता है।
आईएचएस मार्किट की इकनॉमिक्स एसोसिएट निदेशक पॉलिएना डि लीमा ने कहा, ‘‘भारतीय कंपनियों को मांग में सुधार का लाभ मिल रहा है क्योंकि महामारी में आई कमी के साथ प्रतिबंध हटा लिए गए। बेहतर बाजार परिवेश का मतलब है कि कंपनियां सितंबर के दौरान नए काम को हासिल करने और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने में कामयाब रहीं।’’
हालांकि, क्षेत्र में लगातार सुधार के बावजूद व्यापार को लेकर भरोसा सितंबर महीने में कमजोर हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में बेहतर मांग के पूर्वानुमानों ने उत्पादन के संबंध में कारोबार को लेकर विश्वास को समर्थन दिया। हालांकि, मुद्रास्फीति को लेकर बढ़ती चिंता से वृद्धि प्रभावित होती दिख रही है। सितंबर में कच्चे माल की लागत से जुड़ी मुद्रास्फीति में कमी के बावजूद, सेवाप्रदाताओं की धारणा में गिरावट देखी गयी।’’
सर्वे के अनुसार इसके अलावा यात्रा पाबंदियों से भी भारतीय सेवाओं की वैश्विक मांग पर प्रतिकूल असर बना हुआ है। लगातार 19वें महीने नये निर्यात कारोबार में गिरावट देखी गयी।
देश में निजी क्षेत्र की व्यापार गतिविधियां सितंबर में बढ़ीं। क्योंकि विनिर्माण और सेवा दोनों का उत्पादन लगातार बढ़ा है। समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक सितंबर में 55.3 रहा। यह अगस्त के 55.4 से थोड़ा कम है। समग्र पीएमआई सेवा और विनिर्माण उत्पादनों को संयुक्त रूप से मापता है।
ईंधन, सामग्री, खुदरा और परिवहन लागत बढ़ने की रिपोर्ट के बीच कीमत के मोर्चे पर भारतीय सेवाप्रदाताओं पर औसत लागत का बोझ सितंबर में बढ़ा है। कुल मिलाकर मुद्रास्फीति की दर ऊंची है लेकिन इसमें कुछ नरमी आयी है और यह आठ महीने के निम्न स्तर पर है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा में उदार नीतिगत रुख बनाये रख सकता है।
सब्जी जैसे खाने के सामान के दाम कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त महीने में लगातार तीसरे महीने कम होकर 5.3 प्रतिशत रही जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर के दायरे में है।
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