मुंबई, 18 जुलाई विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा कच्चे तेल की कीमतों में रातोंरात उछाल आने के बीच रुपया बृहस्पतिवार को पांच पैसे की गिरावट के साथ 83.63 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि मजबूत अमेरिकी डॉलर और कमजोर एशियाई तथा यूरोपीय मुद्राओं के कारण रुपये ने थोड़ा नकारात्मक रुख के साथ कारोबार किया। ब्रिटेन से श्रम बाजार के निराशाजनक आंकड़ों के कारण अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ, जबकि पाउंड कमजोर हुआ।
हालांकि, सकारात्मक घरेलू शेयर बाजार और विदेशी पूंजी प्रवाह ने स्थानीय मुद्रा में गिरावट को कुछ हद तक सीमित किया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 83.57 प्रति डॉलर पर खुला। दिन में कारोबार के दौरान यह 83.55 के उच्चस्तर तक गया तथा 83.66 प्रति डॉलर के निचले स्तर तक आया। अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले यह 83.63 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से पांच पैसे की गिरावट है।
रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.58 पर बंद हुआ था। इससे पहले रुपया 15 जुलाई को अपने निचले स्तर 83.61 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
‘मुहर्रम’ के मौके पर बुधवार को विदेशी मुद्रा तथा शेयर बाजार बंद थे।
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से रुपये पर और दबाव पड़ सकता है। हालांकि, घरेलू शेयर बाजारों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने और ताजा विदेशी निवेश से निचले स्तर पर रुपये को समर्थन मिल सकता है।’’
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को परखने वाला डॉलर सूचकांक 0.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 103.83 पर रहा।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.01 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 85.07 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयर वाला बीएसई सेंसेक्स 626.91 अंक उछलकर 81,343.46 अंक के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 187.85 अंक बढ़कर 24,800.85 अंक के रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे और उन्होंने बृहस्पतिवार को शुद्ध रूप से 5,483.63 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
इस बीच, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा और कहा कि सामान्य से बेहतर मानसून अनुमान को देखते हुए कृषि क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है।
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