नई दिल्ली: कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर कोरोना वायरस महामारी के समय भी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही पार्टी ने मांग की कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी का लाभ देश की आम जनता को देते हुए इस साल पांच मार्च के बाद पेट्रोल एवं डीजल के दामों में हुई सभी बढ़ोतरी वापस ली जानी चाहिए. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शनिवार को सरकार से यह आग्रह भी किया कि पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाए.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘पूरा देश कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है. लोग इस मुश्किल समय में सरकार से राहत और आर्थिक सहयोग की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन भाजपा सरकार ने राहत देने के बजाय नियमित रूप से ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी करने का काम किया है.’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत काफी नीचे आ चुकी है, परंतु सरकार ने 19 नवंबर के बाद 16 दिनों के अंदर पेट्रोल और डीजल के दामों को क्रमश 14 और 13 बार बढ़ाया। बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर के दाम में भी 50 रुपये की वृद्धि कर दी गई.’’
सुरजेवाला ने यह दावा भी किया कि मई, 2014 के बाद सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 19 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार कच्चे तेल की कीमतें गिरने का लाभ देश की आम जनता को दे. हमारी मांग है कि सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पांच मार्च, 2020 के बाद हुई सारी बढ़ोतरी को वापस ले. उसे उन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में भी लाना चाहिए.’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)