मुंबई, 11 जून: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को जोखिम आधारित आंतरिक ऑडिट (आरबीआईए) व्यवस्था का दायरा बढ़ाते हुए इसमें कुछ आवास वित्त कंपनियों को भी शामिल कर दिया. इसका मकसद उनकी आंतरिक ऑडिट व्यवस्था की गुणवत्ता तथा प्रभाविता को और बेहतर बनाना है. उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने इस साल फरवरी में परिपत्र जारी कर चुनिंदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और शहरी सहकारी बैंकों के लिये 31 मई, 2022 से आरबीआईए रूपरेखा को अनिवार्य किया था. अब केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को एक और परिपत्र जारी कर एनबीएफसी के प्रावधानों को आवास वित्त कंपनियों पर भी लागू कर दिया है.
आरबीआई ने कहा कि प्रावधान उन सभी आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) पर लागू होंगे, जो जमा स्वीकार करती हैं. भले ही उनका आकार कुछ भी हो. जबकि जमा स्वीकार नहीं करने वाली वही एचएफसी इसके दायरे में आएंगी, जिनकी संपत्ति 5,000 करोड़ रुपये और उससे अधिक है. ऐसे एचएफसी से आरबीआईए रूपरेखा 30 जून, 2022 तक तैयार करने को कहा गया है.
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आरबीआईए एक प्रभावी ऑडिट पद्धति है जो एक संगठन के समग्र जोखिम प्रबंधन ढांचे को जोड़ती है. यह संगठन के आंतरिक नियंत्रण, जोखिम प्रबंधन तथा संचालन व्यवस्था से संबंधित प्रणालियों एवं प्रक्रियाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन को भरोसा प्रदान करती है.
आरबीआई के फरवरी में जारी परिपत्र के अनुसार आंतरिक ऑडिट कार्य को व्यवस्थित और अनुशासित दृष्टिकोण का उपयोग करके संगठन के संचालन, जोखिम प्रबंधन तथा नियंत्रण प्रक्रियाओं के समग्र सुधार को लेकर व्यापक रूप से मूल्यांकन और योगदान करना चाहिए. इसमें कहा गया था कि यह मजबूत कंपनी संचालन व्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है और इसे रक्षा की तीसरी लाइन माना जाता है.
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