देश की खबरें | राजस्थान जल जीवन मिशन योजना: उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन मामले में आरोपी को जमानत दी

नयी दिल्ली, 16 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान की जल जीवन मिशन योजना में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले में एक आरोपी को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी।

केंद्र सरकार द्वारा शुरू किये गये जल जीवन मिशन (जेजेएम) का उद्देश्य घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है और इसे राजस्थान में राज्य के लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी (पीएचई) विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

पदम चंद जैन को राहत प्रदान करते हुए न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में नौ अगस्त, 2024 को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देते समय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी पूर्ण शक्तियों का इस्तेमाल नहीं किया था।

पीठ में न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन भी शामिल थे। पीठ ने उल्लेख किया कि राजस्थान में जेजेएम योजना में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले में दो अन्य सह-आरोपियों को पहले उच्चतम न्यायालय ने जमानत दे दी थी।

इसने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त किये गये मुख्य साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के थे और उनके साथ छेड़छाड़ की कोई आशंका नहीं थी।

पीठ ने कहा कि तत्कालीन मंत्री, जिनके लाभ के लिए कथित लेन-देन हुआ था, को मामले में आरोपी के रूप में शामिल नहीं किया गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता पंकज सिंघल उच्चतम न्यायालय में जैन की ओर से पेश हुए।

लूथरा ने दलील दी कि जैन 13 जून, 2024 से हिरासत में हैं और उच्चतम न्यायालय ने पहले मामले में दो अन्य सह-आरोपियों को जमानत दे दी थी।

ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने जमानत याचिका का विरोध किया और दलील दी कि जैन की भूमिका उन लोगों की तुलना में ‘‘बहुत गंभीर प्रकृति’’ की थी जिन्हें पहले जमानत दी गई थी।

राजू ने कहा कि मामले में जांच जारी है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सिसोदिया के मामले में दिए गए अपने फैसले में अदालत ने माना था कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 की दोहरी शर्तें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त संवैधानिक सुरक्षा उपायों को खत्म नहीं कर सकती हैं।

पीएमएलए की धारा 45 संज्ञेय और गैर-जमानती अपराधों से संबंधित है और इसमें जमानत के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं।

ईडी का धनशोधन मामला राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी से उत्पन्न हुआ है।

जांच के सिलसिले में ईडी ने वरिष्ठ लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों, राजस्थान के पूर्व मंत्री महेश जोशी और अन्य के आवासीय और आधिकारिक परिसरों समेत जयपुर और दौसा स्थित परिसरों की तलाशी ली।

जोशी राजस्थान की पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री थे।

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