नयी दिल्ली, दो जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पंजाब सरकार की खिंचाई की और कहा कि उसके अधिकारी और कुछ किसान नेता, जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनिश्चितकालीन अनशन को खत्म कराने के प्रयासों को लेकर मीडिया में गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि वह स्पष्ट करती है कि अदालत ने कभी भी किसान नेता डल्लेवाल का अनशन खत्म कराने का निर्देश नहीं दिया, बल्कि वह केवल उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है और चाहती है कि उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि अदालत ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहती, लेकिन ऐसा लगता है कि पंजाब सरकार के अधिकारी और कुछ किसान नेता जमीनी स्तर पर स्थिति को और जटिल बनाने के लिए मीडिया में गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं।
पीठ ने कहा, “हमें डल्लेवाल के प्रति कुछ किसान नेताओं की सद्भावना को परखने की जरूरत है।”
पीठ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से कहा कि समय बीतने के साथ यह मुद्दा "अधिक से अधिक संवेदनशील" होता जा रहा है।
पीठ ने कहा, “सबसे पहले, एक बात स्पष्ट करें। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे मीडिया और प्रकाशनों में जानबूझकर यह प्रयास किया जा रहा है कि आपकी राज्य सरकार, आपके अधिकारी यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि डल्लेवाल को आमरण अनशन खत्म करने के लिए मनाया जा रहा है।”
सिंह ने कहा कि कोई भी डल्लेवाल पर दबाव नहीं बना रहा था और यह राज्य सरकार का काम नहीं है, बल्कि किसान नेता ने खुद मीडिया को कुछ संदेश दिए थे।
पीठ ने कहा, “हमने इसे समाचार पत्रों में देखा है। आप लोग इस तरह की धारणा बना रहे हैं। इसीलिए वह (डल्लेवाल) अनिच्छुक और झिझक रहे होंगे।”
पीठ ने कहा, “वह (डल्लेवाल) एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो एक मुद्दे के लिए आमरण अनशन पर बैठे हैं। हमने जो निर्देश जारी किए हैं, उनका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अपना अनशन खत्म कर देना चाहिए। यहां तक कि जब वह अस्पताल में भर्ती हों, तब भी जब उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है, तो वह शांतिपूर्ण विरोध जारी रख सकते हैं। आपको उन्हें इस दृष्टिकोण से राजी करना होगा।”
सिंह ने पीठ से कहा कि ऐसे किसी भी प्रयास को शुरू में ही रोक दिया जाएगा और डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता लेने के लिए तथा आंदोलनकारी किसानों को अदालत द्वारा नियुक्त समिति के साथ बातचीत में शामिल होने के लिए राजी करने के प्रयास जारी हैं।
पीठ ने कहा कि यदि राज्य विफल रहा और जरूरत पड़ी, तो वह स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाएगी।
पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि, पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) इस मामले में डिजिटल माध्यम से पेश हो रहे हैं, इसलिए उम्मीद है कि अदालत का संदेश नीचे तक जाएगा।
न्यायालय ने दोनों अधिकारियों से हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें यह बताया जाए कि 20 दिसंबर के उसके आदेश का कितना पालन किया गया है। उस आदेश में न्यायालय ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह जनवरी की तारीख तय की।
न्यायालय ने डल्लेवाल की ओर से दायर एक नयी याचिका पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया है। डल्लेवाल की याचिका में केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद 2021 में प्रदर्शनकारी किसानों से किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत विभिन्न वादों को पूरा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
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