नयी दिल्ली, छह नवंबर राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मास्क लगाने का प्रचार प्रचार किसी आंदोलन की तरह किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में संक्रमण की दो लहरों की तरह ही तीसरी लहर भी जल्दी ही समाप्त हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने मुंडका में पीडब्ल्यूडी की एक परियोजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जिस प्रकार से लोगों ने कोरोना वायरस की पहले की दो लहर का सामना किया है वैसे ही वे तीसरी लहर का भी सामना करेंगे और यह जल्द ही समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा,‘‘ जब तक कोरोना वायरस का कोई टीका नहीं आता तब तक मास्क को ही टीका मानें। कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ यह सबसे बड़ा बचाव है। हमें मास्क लगाने का प्रचार प्रसार एक आंदोलन की तरह करने की जरूरत है।’’
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केजरीवाल ने कहा कि मार्च में संक्रमण प्रभावित देशों से 32,000 भारतीय लौटे, साथ ही देश के अन्य हिस्सों से लोग वापस आए और दिल्ली ने काफी मुश्किल वक्त देखा।
वायु प्रदूषण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जनवरी से अक्टूबर माह के मध्य तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता अच्छी रहती है, लेकिन इसके बाद पंजाब ,हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलने के बाद यह खराब होने लगती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली के निस्तारण के लिए दिल्ली ने एक रसायन को विकल्प के तौर पर पेश किया है जिसे पूसा संस्थान ने विकसित किया है और जो पराली को खाद में बदल देता है।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश का कोई बहाना नहीं चलेगा और पराली जलनी बंद होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर दिल्ली सरकार अथवा पूसा संस्थान उन राज्यों को रसायन दे सकता है जहां पराली जलाई जाती है।
इस दौरान पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि जखीरा से दिल्ली सीमा तक रोहतक मार्ग के 13.33 किलोमीटर के मजबूतीकरण का काम अगले छह माह में पूरा होना है लेकिन वह कोशिश करेंगे कि इसे चार माह में पूरा कर लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पहले भी समय से पूर्व और कम लागत पर विभिन्न परियोजनाओं को पूरा किया है और ऐसा इस परियोजना में भी होगा।
लोक निर्माण विभाग के एक अभियंता ने कहा कि पुनर्विकास परियोजना की कुल लागत 25 करोड़ रुपये है और इसे आधुनिक तकनीक से पूरा किया जाएगा।
सड़क को सबसे पहले 2011 में बनाया गया था और 2016 में इसे पुनर्विकसित किया जाना था।
राज्य सरकार की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से पैसे जारी नहीं किये गए इसलिए परियोजना को अब दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से ले लिया है।
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