नई दिल्ली, 17 मार्च : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने देश के कुछ हिस्सों में कोविड-19 (COVID-19) के बढ़ते मामलों पर बुधवार को चिंता जताई और इसे फिर से फैलने से रोकने के लिए ‘‘तीव्र और निर्णायक’’ कदम उठाने का आह्वान किया. कोविड-19 महामारी की वर्तमान स्थिति और देश भर में कोरोना के खिलाफ जारी टीकाकरण (Vaccination) के सिलसिले में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से डिजिटल माध्यम से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कोरोना के मामले बढ़े हैं जबकि देश के 70 जिलों में पिछले कुछ हफ्तों में सकारात्मक मामलों की दरों में 150 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. यह भी पढ़े: कोविड-19 पर पीएम मोदी के साथ हुई बैठक में ममता बनर्जी नहीं हुईं शामिल
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये मंथन का विषय है कि आखिर कुछ क्षेत्रों में ही जांच कम क्यों हो रही है और क्यों ऐसे ही क्षेत्रों में टीकाकरण भी कम हो रहा है. उन्होंने कहा कि ये सुशासन की परीक्षा का भी समय है. उन्होंने कहा,‘‘ कोरोना की लड़ाई में हम आज जहां तक पहुंचे हैं, उसमें और उससे जो आत्मविश्वास आया है, वह अति आत्मविश्वास में नहीं बदलना चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी ये सफलता लापरवाही में भी नहीं बदलनी चाहिए. हमें जनता को ‘पैनिक मोड (भयभीत अवस्था)’ में भी नहीं लाना है. एक भय का साम्राज्य फैल जाए, ये भी स्थिति नहीं लानी है और कुछ सावधानियां बरत करके, कुछ कदम उठा करके हमें जनता को परेशानी से मुक्ति भी दिलानी है.’’
प्रधानमंत्री ने वायरस का फैलाव रोकने के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से जांच का दायरा बढ़ाने, बचाव के उपायों को लागू करने और टीकाकरण केंद्रों की संख्या बढ़ाने सहित अन्य कदम उठाने को कहा.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही 'टैस्ट (परीक्षण), ट्रैक (निगरानी) और ट्रीट (उपचार)' को लेकर भी उतनी ही गंभीरता की जरूरत है जैसे कि पिछले एक साल से होता आ रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क को कम से कम समय में पता लगाना करना और आरटी पीसीआर टेस्ट दर 70 प्रतिशत से ऊपर रखना बहुत अहम है.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भी देखा जा रहा है कि कई राज्यों में रेपिड एंटीजेन टेस्टिंग पर ही ज्यादा बल दिया जा रहा है और उसी भरोसे गाड़ी चल रही है. इस क्रम में उन्होंने केरल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि सिर्फ इन्हीं राज्यों में ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों में आरटी पीसीआर जांच और बढ़ाने पर जोर देना होगा.
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर टीकों की बर्बादी का मुद्दा भी उठाया और अधिक से अधिक टीकाकरण केंद्र बनाए जाने को कहा. उन्होंने कहा, ‘‘हमें टीके की बर्बादी की समस्या को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 10 प्रतिशत से ज्यादा टीके बर्बाद हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश में भी टीके की बर्बादी करीब-करीब वैसा ही है. टीके क्यों बर्बाद हो रहे हैं, इसकी भी राज्यों में समीक्षा होनी चाहिए.’’
उन्होंने कहा कि टीके की बर्बादी से एक प्रकार से किसी के अधिकार को बर्बाद किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें किसी के अधिकार को बर्बाद करने का हक नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक मुद्दा है, टीके के इस्तेमाल की अवधि समाप्त होने की. हमें ध्यान रखना चाहिए कि जो पहले आया है उसका पहले उपयोग हो और जो बाद में आया है उसका बाद में उपयोग हो. अगर जो बाद में आया हुआ हम पहले उपयोग कर लेंगे तो फिर एक्सपायरी डेट (उपयोग की अंतिम तिथि)और वेस्टेज (बर्बादी)की स्थिति बन जाएगी.’’ उन्होंने कहा कि संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए जो मूलभूत कदम हैं उसका पालन करना ही होगा. यह भी पढ़ें: मुख्यमंत्रियों से बोले पीएम मोदी- जनता को बिना पैनिक किए COVID-19 पर करें प्रहार, ‘सेकंड पीक’ रोकने के लिए तत्काल लें एक्शन
उन्होंने कहा, ‘‘दवाई भी और कड़ाई भी’ के साथ ही मास्क पहनना है तथा दो गज की दूरी बनाए रखना है. साथ ही साफ सफाई का ध्यान रखना है.’’ उन्होंने कहा कि ऐसे कई कदम जो पिछले एक साल से करते आए हैं, एक बार फिर से उन पर बल देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमें कड़ाई करनी पड़े तो करनी चाहिए. इस विषय में हिम्मत के साथ काम करना पड़ेगा.’’ उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को देश अब तक जीतता आया है और इसकी वजह सभी का सहयोग और एक-एक कोरोना योद्धा का सहयोग है.
उन्होंने कहा कि भारत ने कोरोना वायरस का डंटकर मुकाबला किया है और इस मामले में आज विश्व के देश भारत की नजीर देते हैं. उन्होंने दावा किया कि देश में कोरोना से ठीक होने की दर 96 प्रतिशत है जबकि इससे होने वाली मौतों की दर विश्व में सबसे कम है. मोदी ने कहा कि टीकाकरण की गति लगातार बढ़ रही है और अब एक दिन में 30 लाख लोगों के टीकाकरण के आंकड़े को भी एक बार पार किया जा चुका है.