गरीबी कम होने का आंकड़ा गलत, 25 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज से वंचित करने की साजिश: कांग्रेस
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नयी दिल्ली , 18 जनवरी: कांग्रेस ने पिछले नौ साल में 24.82 करोड़ लोगों के बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने संबंधी आंकड़े को गलत करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि नीति आयोग का परिचर्चा पत्र वैश्विक मानकों से हटकर तैयार किया गया है तथा किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह दावा भी किया कि सरकार ने 25 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज और दूसरी योजनाओं से वंचित करने की साजिश रची है.

नीति आयोग के परिचर्चा पत्र के अनुसार, देश में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत थी जो 2022-23 में घटकर 11.28 प्रतिशत रही. इसके साथ इस अवधि के दौरान 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आये हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस आंकड़े को उत्साहजनक करार दिया था. सुप्रिया श्रीनेत का कहना था, ‘‘प्रधानमंत्री से लेकर मंत्रियों और भाजपा नेताओं तक ने नीति आयोग का हवाला देकर जो दावे किए वो खोखले साबित हुए.

सरकार ने कहा कि करीब 25 करोड़ लोगों को बहुआयमी निर्धनता से बाहर निकाल दिया गया. अगर सरकार की माने तो सब चंगा सी है, लेकिन जमीनी हकीकत इस तरह के जुमले से बिल्कुल उलट है.’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘अगर गरीबों की संख्या कम हो गई है तो खपत कम क्यों हो रही है? अगर ऐसा है तो 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन क्यों देना पड़ा रहा है?

नीति आयोग ने किस तीसरे पक्ष से यह आंकलन कराया और क्या किसी वैश्विक संस्थान ने इसकी पुष्टि की? क्या ऐसा नहीं है कि दुनिया भर में जिन मानकों के आधार पर गरीबी का आंकलन किया जाता है उनसे हटकर दूसरे मानकों पर गरीबी का आकलन किया गया?’’ सुप्रिया ने दावा किया, ‘‘यह कहीं न कहीं 25 करोड़ लोगों को मुफ्त के राशन से वंचित करने की साजिश है.’’\

उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार के दौरान 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया, लेकिन वो रिपोर्ट कमरे में बैठकर नहीं बनाई गई थी. विश्व बैंक ने तीसरे पक्ष की इस रिपोर्ट की पुष्टि की थी.’’

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