बेंगलुरु, 17 अगस्त : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि महाराष्ट्र की सीमा से लगे बीदर में शाहीन एजुकेशन सोसाइटी में पिछले साल एक राजद्रोह के मामले में पुलिस द्वारा बच्चों से पूछताछ करना किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन है. अदालत ने राज्य सरकार को यह निर्देश जारी करने के लिए कहा है कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो. यह मामला स्कूल में एक नाटक के मंचन से संबंधित है, जहां बच्चों द्वारा प्रयुक्त पटकथा में कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी थी.
यह नाटक कथित तौर पर संशोधित नागरिकता अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ था. एक शिकायत के आधार पर कार्यक्रम के प्रबंधन और आयोजकों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. नयना ज्योति झावर और अन्य की एक याचिका के आधार पर, मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और न्यायमूर्ति एन एस संजय गौड़ा की खंडपीठ ने उन तस्वीरों पर गौर किया, जिनमें वर्दी पहने और हथियार लिये हुए पुलिसकर्मियों को पिछले साल मार्च में बच्चों से पूछताछ करते दिखाया गया था. यह भी पढ़ें : Tapas Portal: सोशल डिफेंस सर्विस के लिए शुरू हुए फ्री ऑनलाइन कोर्स
याचिकाकर्ता ने राजद्रोह मामले में पुलिस को किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.
पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई रिपोर्ट पेश करे, जिन्होंने कथित तौर पर बच्चों से पूछताछ के दौरान किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन किया था. इस बीच, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पीटीआई- को बताया कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए जल्द ही उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार एक निर्देश जारी किया जाएगा.