अखनूर (जम्मू-कश्मीर), 14 जनवरी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के बिना जम्मू-कश्मीर ‘‘अधूरा’’ है। उन्होंने इस्लामाबाद को अपने आतंकवादी ढांचों को नष्ट करने या गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में स्थिति काफी बदल गई है और इस सच्चाई को स्वीकार किया जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर पीओके के बिना अधूरा है। पीओके भारत के माथे का मुकुट मणि है।’’
सिंह यहां अखनूर सेक्टर के टांडा आर्टिलरी ब्रिगेड में नौवीं सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि अनुच्छेद 370 के हटने से क्षेत्र में बदलाव की शुरुआत हुई है।
भारत के रुख की पुष्टि करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के लिए, पीओके विदेशी क्षेत्र से ज्यादा कुछ नहीं है’’ और जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाएं कभी भी पाकिस्तान की आकांक्षाओं से मेल नहीं खाती हैं।
उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में क्षेत्र के कई मुस्लिम निवासियों द्वारा दिए गए बलिदान का हवाला दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि पाकिस्तान द्वारा पीओके की जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों के लिए किया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पीओके की जमीन का इस्तेमाल ‘आतंकवाद का कारोबार’ चलाने के लिए किया जा रहा है और भारत सीमा के निकट बनाये गये ‘लॉन्च पैड’ से अच्छी तरह अवगत है।
सिंह ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘...पाकिस्तान को इनको (आतंकी शिविरों को) खत्म करना ही होगा।’’
रक्षा मंत्री ने पीओके के तथाकथित प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक की हाल की टिप्पणियों की भी निंदा की जिन्होंने पाकिस्तान के भारत विरोधी एजेंडे को जारी रखने की वकालत की थी।
उन्होंने कहा कि पीओके के लोग सम्मानजनक जीवन से वंचित हैं और पाकिस्तान के शासकों ने अपने भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए धर्म के नाम पर उनका शोषण किया है।
आतंकवाद को समर्थन देने संबंधी अपनी नीति को छोड़ने में पाकिस्तान की विफलता को लेकर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा, “पाकिस्तान ने हमेशा भारत को अस्थिर करने का हर संभव प्रयास किया है। वह अपने प्रयास जारी रखे हुए है। पाकिस्तान ने कभी आतंकवाद को नहीं छोड़ा है। जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादी पाकिस्तान से आते हैं।”
इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने घोषणा की कि देशभर के दूरदराज के क्षेत्रों में पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को मोबाइल मेडिकल इकाइयों के माध्यम से चिकित्सा सुविधाएं उनके घर तक पहुंचाई जाएंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की सहायता के लिए कई कदम उठाए हैं। हालांकि मैं यह दावा नहीं करता कि सभी उपाय पर्याप्त हैं, लेकिन इस वर्ष एक महत्वपूर्ण पहल दूरदराज के क्षेत्रों में भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए ‘मोबाइल मेडिकल यूनिट’ की शुरुआत करना है।’’
कार्यक्रम में रक्षा मंत्री सिंह के अलावा जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ’ एम वी सुचिन्द्र कुमार भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने देश की सुरक्षा में योगदान के लिए सशस्त्र बलों की प्रशंसा की और उनकी समस्याओं को दूर करने में अपनी सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार और सुरक्षा बलों के बीच संबंधों को बेहतर और मजबूत बनाने के प्रयास जारी हैं।
रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में भारतीय सेना के वीरतापूर्ण प्रयासों को भी याद किया तथा उन बलिदानों और रणनीतिक प्रतिभा पर प्रकाश डाला जिसके कारण भारत को जीत मिली।
सिंह ने अखनूर की लड़ाई के महत्व को रेखांकित किया, जहां भारतीय सेना ने पाकिस्तान के ‘ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम’ को सफलतापूर्वक विफल कर दिया और लाहौर तक आगे बढ़ गई।
उन्होंने कहा, ‘‘1965 के युद्ध में जंग के मैदान में मिली जीत भारतीय सेनाओं के शौर्य, पराक्रम और बलिदान का परिणाम था। आप इतिहास उठा कर देखिए, भारत से हुई हर जंग में पाकिस्तान हारा है। चाहे 1948 में हुआ कबाइली हमला हो, 1965 का युद्ध हो, 1971 का युद्ध हो या फिर 1999 का कारगिल में हुआ युद्ध हो, हर लड़ाई में पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा है।’’
रक्षा मंत्री ने मकर संक्रांति के मौके पर पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के साथ तुलना करते हुए, सिंह ने चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और अशफाकउल्ला जैसे नायकों के बलिदान पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘उनकी प्रेरणा उसी सम्मान और गर्व की भावना से आई थी जो आज हमारे सशस्त्र बलों को प्रेरित करती है। जो युवा सेना में शामिल होते हैं, वे जोखिम को जानते हुए भी ऐसा करते हैं। वे भारत की गरिमा और सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान 1965 से घुसपैठ और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है तथा जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आबादी को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यहां के लोगों ने हमेशा उनके मंसूबों को खारिज किया है। पाकिस्तान अभी भी आतंकवाद का सहारा लेता है। आज भी भारत में घुसपैठ करने वाले 80 प्रतिशत से अधिक आतंकवादी वहीं से होते हैं। आतंकवाद 1965 में ही खत्म हो गया होता अगर तत्कालीन सरकार ने युद्ध के मैदान में प्राप्त रणनीतिक लाभ को नुकसान में नहीं बदला होता। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से जमीनी स्थिति में काफी सुधार हुआ है।’’
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