नयी दिल्ली, चार दिसंबर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय पीयूष गोयल ने बुधवार को राज्यसभा में बॉयलर विधेयक पेश किया, जो सौ साल पुराने मूल कानून को निरस्त करेगा।
बॉयलर विधेयक, 2024 बॉयलर गतिविधियों से संबंधित कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है।
विधेयक में बॉयलर के अंदर काम करने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। साथ ही इसमें बॉयलर की मरम्मत का काम योग्य और सक्षम व्यक्तियों द्वारा किए जाने की बात भी कही गई है।
बॉयलर कानून, 1923 को निरस्त करने वाले इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो अगस्त को मंजूरी दी थी।
विधेयक के प्रावधानों को अधिक स्पष्टता प्रदान करने के लिए इसे आधुनिक प्रारूपण पद्धतियों के अनुसार तैयार किया गया है।
विधेयक के प्रस्तावों के मुताबिक बॉयलर अधिनियम, 1923 में विभिन्न स्थानों पर मौजूद समान प्रावधानों को छह अध्यायों में एक साथ रखा गया है, ताकि अधिनियम को आसानी से पढ़ा और समझा जा सके।
इसमें किसी भी भ्रम से बचने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्रीय बॉयलर बोर्ड के सभी कार्यों व शक्तियों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
व्यापार करने में आसानी (ईओडीबी) के लिए, विधेयक एमएसएमई क्षेत्र सहित बॉयलर उपयोगकर्ताओं को लाभान्वित करेगा, क्योंकि विधेयक में गैर-अपराधीकरण से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया गया है।
बॉयलर और बॉयलर का काम-काज करने वाले कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सात अपराधों में से, चार प्रमुख अपराधों में, जिनके परिणामस्वरूप जान और संपत्ति का नुकसान हो सकता है, आपराधिक दंड बरकरार रखा गया है। अन्य अपराधों के लिए, वित्तीय दंड का प्रावधान किया जा रहा है। इसके अलावा, सभी गैर-आपराधिक अपराधों के लिए ‘आर्थिक दंड’ को ‘जुर्माने’ में बदल दिया गया है, जिसे पहले की तरह अदालतों के बजाय कार्यकारी तंत्र के माध्यम से लगाया जाएगा।
प्रस्तावित विधेयक सुरक्षा को बढ़ाएगा, क्योंकि विधेयक में बॉयलर के अंदर काम करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बॉयलर की मरम्मत, योग्य और सक्षम व्यक्तियों द्वारा किए जाने के विशिष्ट प्रावधान किए गए हैं।
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