Maharashtra: महाराष्ट्र के निजी स्कूलों को EWS छात्रों के प्रवेश से छूट देने संबंधी याचिका खारिज
Supreme Court | PTI

नयी दिल्ली, 10 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की नौ फरवरी की अधिसूचना को निरस्त करने वाले बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया और कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों को भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिलना चाहिए. महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना ने सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में निजी स्कूलों को ‘‘कमजोर वर्ग और वंचित समूह’’ के छात्रों से संबंधित 25 प्रतिशत आरक्षण से छूट प्रदान कर दी थी.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जब इन निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ईडब्ल्यूएस छात्रों के साथ बातचीत करेंगे, तो उन्हें समझ आएगा कि वास्तव में देश क्या है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकारी स्कूल कभी भी निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, चाहे वे कितने भी अच्छे क्यों न हों. पीठ ने कहा, ‘‘ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को अच्छे स्कूलों में जाना चाहिए. जब इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ईडब्ल्यूएस छात्रों के साथ बातचीत करेंगे, तो उन्हें समझ आएगा कि वास्तव में देश क्या है. अन्यथा वे सिर्फ ‘फैंसी गैजेट्स’ और कारों के बीच रहेंगे.’’ यह भी पढ़ें : BharatPe Fraud Case: भारतपे धोखाधड़ी मामले में अस्तित्वहीन फर्मों को 72 करोड़ रुपये का भुगतान के मामले में व्यक्ति गिरफ्तार

अपना अनुभव साझा करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह अपने परिवार में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ने वाले पहले व्यक्ति थे. अधिसूचना को रद्द करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 और बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009, जिसे शिक्षा का अधिकार (आरटीई) भी कहा जाता है, के प्रावधानों के दायरे से बाहर (कानूनी शक्ति से परे) है.