Delhi High Court: मुस्लिम शादी को अनिवार्य विवाह आदेश के तहत पंजीकृत न करने को लेकर याचिका दायर
सांकेतिक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 30 जुलाई : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम शादियों को विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के तहत पंजीकृत किया जा रहा है और उन्हें अनिवार्य विवाह आदेश के तहत ऐसा करने का विकल्प नहीं दिया जा रहा है जिसमें बिना किसी देरी के तत्काल पंजीकरण का प्रावधान है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने एनजीओ ‘धनक फॉर ह्यूमैनिटी’ और एक प्रभावित व्यक्ति की याचिका पर नोटिस जारी किया. दिल्ली सरकार को तीन सप्ताह में नोटस का जवाब देना है. इस मामले में अब चार अक्टूबर को आगे सुनवाई होगी.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील उत्कर्ष सिंह ने कहा कि मुस्लिम शादियों को अनिवार्य शादी आदेश से बाहर रखना भेदभावपूर्ण है. इस पर न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा, ‘‘सिंह की बात सही है. आप भेदभाव नहीं कर सकते.’’ दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील शादान फरासत ने कहा कि वह मामले में निर्देश लेंगे. यह भी पढ़ें : हर लड़की की सुरक्षा के लिए एक-एक पुलिसकर्मी तैनात नहीं कर सकते : गोवा मंत्री

याचिका में कहा गया है कि दूसरे याचिकाकर्ता की शादी एक मुस्लिम शादी है न कि अंतरजातीय विवाह लेकिन इसके बावजूद दंपति को एसएमए के तहत 30 दिन का नोटिस दिया गया. यह दंपति दिल्ली में शादी करने के लिए अपने गृह नगर से भागा था.