ताजा खबरें | जनता की ओर से खारिज किए गए लोग ‘हुड़दंगबाजी’ से संसद को नियंत्रित करने का प्रयास में : मोदी

नयी दिल्ली, 25 नवंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्हें लोगों ने 80-90 बार खारिज कर दिया है, वे अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ‘हुड़दंगबाजी’ का सहारा लेकर संसद को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं।

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से सत्र के दौरान स्वस्थ चर्चा में भाग लेने का आह्वान भी किया और इसके परिणामकारी होने की उम्मीद भी जताई।

मोदी ने कहा कि ऐसे मुट्ठीभर लोग अपने इरादों में कामयाब नहीं हो सके और देश के लोगों ने उनके कार्यों को देखा और उचित समय पर उन्हें दंडित भी किया।

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन की शानदार जीत के कुछ दिनों बाद आई है। 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा गठबंधन ने 235 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की वहीं विपक्षी महा विकास आघाडी महज 49 सीटों पर सिमट गई।

इससे पहले, भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में आश्चर्यजनक रूप से लगातार तीसरी जीत दर्ज की और कांग्रेस को पराजित किया था।

मोदी ने कहा, ‘‘हमारे संविधान की महत्वपूर्ण इकाई हैं - संसद और हमारे सांसद। संसद में स्वस्थ चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में अपना योगदान दें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए... मुट्ठी भर लोग... हुड़दंगबाजी से संसद को नियंत्रित करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनका अपना मकसद तो सफल नहीं होता, लेकिन देश की जनता उनके सारे व्यवहार को बारीकी से देखती है और जब समय आता है तो उन्हें सजा भी देती है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बार-बार विपक्ष के साथियों से आग्रह करते रहे हैं और कुछ विपक्षी साथी भी चाहते हैं कि सदन में सुचारू रूप से काम हो।

उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा, ‘‘लेकिन जिनको जनता ने लगातार नकारा है, वे अपने साथियों की बात को भी नकार देते हैं और उनकी एवं लोकतंत्र की भावनाओं का अनादर करते हैं।’’

मोदी ने कहा कि सबसे ज्यादा पीड़ा की बात ये है कि हर दल के नए सांसद, नए विचार और नयी ऊर्जा से लैस होते हैं लेकिन उनके अधिकारों को भी ‘कुछ लोग दबोच देते हैं’, लिहाजा उन्हें सदन में बोलने का अवसर तक नहीं मिलता है।

उन्होंने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी का काम है कि आने वाली पीढियों को तैयार करे। लेकिन 80-80, 90-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है, वे ना संसद में चर्चा होने देते हैं, ना लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं, ना ही वे लोगों की आकांक्षाओं का कोई महत्व समझते हैं और ना ही उसके प्रति कोई दायित्व समझ पाते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसी का परिणाम है कि वो जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते हैं। और परिणामस्वरूप जनता को बार-बार उनको खारिज करना पड़ रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2024 के संसदीय चुनाव के बाद, देश की जनता को अपने-अपने राज्यों में कुछ स्थानों पर अपनी भावना, अपने विचार और अपनी अपेक्षाएं प्रकट करने का अवसर मिला है और उसमें भी लोकसभा के चुनाव के नतीजों को और अधिक ताकत दी गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘संसद में बैठे हुए हम सबको जनता-जनार्दन की इन भावनाओं पर खरा उतरना ही पड़ेगा। और समय की मांग है कि हम अब तक जितना समय गंवा चुके हैं, उसका थोड़ा पश्चाताप करें और उसका परिमार्जन करने का उपाय यही है कि हम बहुत ही तंदुरुस्त तरीके से, हर विषय के अनेक पहलुओं को संसद भवन में हम उजागर करें। आने वाली पीढ़ियां भी पढ़ेंगी उसको, उसमें से प्रेरणा लेगी।’’

उन्होंने उम्मीद जताई कि नए सांसदों को सत्र के दौरान अवसर मिले क्योंकि उनके पास नए विचार हैं, और भारत को आगे ले जाने के लिए नई-नई कल्पनाएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आशा करता हूं कि यह सत्र बहुत ही परिणामकारी हो, संविधान के 75वें वर्ष की शान को बढ़ाने वाला हो, भारत की वैश्विक गरिमा को बल देने वाला हो, नए सांसदों को अवसर देने वाला हो, नए विचारों का स्वागत करने वाला हो।’’

मोदी ने कहा कि आज विश्व भारत की तरफ बहुत आशा भरी नजर से देख रहा है, इसलिए संसद के समय का उपयोग वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़े हुए सम्मान को बल प्रदान करने में भी किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि संसद का यह सत्र अनेक प्रकार से विशेष है और सबसे बड़ी बात यह है कि ‘‘हमारे संविधान की यात्रा का 75वें साल में प्रवेश अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है।’’

संसद का शीतकालीन सत्र 26 दिनों तक प्रस्तावित है और इस दौरान 19 बैठकें होंगी। हालांकि, संविधान दिवस समारोह के मद्देनजर 26 नवंबर को संसद की बैठक नहीं होगी।

संविधान दिवस पर मुख्य कार्यक्रम संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित किया गया है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। संसद के इसी केंद्रीय कक्ष में 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार किया गया था।

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