नयी दिल्ली, पांच अगस्त संसद की एक समिति ने दिसंबर 2015 में नई पर्यटन नीति को लेकर दिये गए आश्वासन के सात वर्षों से लंबित होने पर संज्ञान लेते हुए पर्यटन मंत्रालय से कहा कि वह आश्वासनों को अक्षरश: पूरा करने के लिये समय पर कार्रवाई करे।
लोकसभा में शुक्रवार को पेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद राजेंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता वाली सरकारी आश्वासनों संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2015 को अर्जुन राम मेघवाल और चंद्र प्रकाश जोशी ने अतारांकित प्रश्न में पूछा था कि क्या पर्यटन मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या गत पांच वर्षों के दौरान देश में पर्यटन स्थलों पर आने वाले देशी/विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी आई है ? क्या मंत्रालय ने पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने और उसमें तेजी लाने के लिये कोई नीति तैयार की है, उसका ब्यौरा दें ?
प्रश्न के उत्तर में तत्कालीन पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा था कि विदेशी पर्यटक यात्राओं (एफटीवी) में वर्ष 2012 के दौरान गिरावट दर्ज की गई थी और इसे (वर्ष 2012 को) छोड़कर गत पांच वर्षों के दौरान घरेलू पर्यटन यात्राओं (डीटीवी) और विदेशी पर्यटक यात्राओं में वृद्धि का रूझान पता चलता है।
शर्मा ने कहा था कि आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन के प्रमुख इंजन के रूप में पर्यटन की क्षमता को कार्यरूप देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2015 का मसौदा तैयार किया गया था।
उन्होंने कहा था कि इस संबंध में विभिन्न पक्षकारों, अनुभवी हस्तियों के साथ कई बार विचार-विमर्श किया गया। आम जनता की टिप्पणियां प्राप्त करने के लिये इस मसौदे को वेबसाइट पर डाला गया है, साथ ही अंतर मंत्रालयी परामर्श भी किया जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति ने पाया कि नयी पर्यटन नीति तैयार करने के संबंध में 27 जुलाई 2015 के अतारांकित प्रश्न संख्या 1076 और 7 दिसंबर 2015 के अतारांकित प्रश्न संख्या 1287 के उत्तर में दिये गए आश्वासन बिना किसी प्रगति के 7 वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं।’’
पर्यटन नीति पर 27 जुलाई 2015 को जय प्रकाश नारायण यादव, प्रेम दास राई, टी जी वेंकटेश बाबू, मानशंकर निनामा, प्रभुभाई नागर भाई वसावा, प्रताप सिम्हा, अशोक नेते और भगत सिंह कोश्यारी ने भी प्रश्न पूछे थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति को यह सूचित किया गया है कि पर्यटन मंत्रालय संबंधित पक्षकारों से प्रतिक्रिया लेने के बाद राष्ट्रीय पर्यटन नीति को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। मंत्रालय ने यह बताया कि कोरोना महामारी के बाद पर्यटन की उन सभी नीतियों पर नये सिरे से विचार करने की जरूरत महसूस की गई है।
समिति यह समझती है कि ‘एक निश्चित समय-सीमा के भीतर नीतिगत मामलों से संबंधित आश्वासनों के कार्यान्वयन में व्यावहारिक कठिनाई आती है, फिर भी इससे मंत्रालय को आश्वासनों की पूर्ति में हो रहे विलंब के लिये कोई आधार नहीं मिलता है तथा आश्वासनों को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाकर उन्हें पूरा करने की तात्कालिक जिम्मेदारी पर्यटन मंत्रालय की है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि ऐसे में समस्याओं से निपटने और आश्वासनों को कार्यान्वित करने के तरीकों एवं साधनों को खोजने के ईमानदार प्रयास करने की जरूरत है।
समिति ने पर्यटन मंत्रालय से कहा कि वह आश्वासनों को अक्षरश: पूरा करने के लिये समय पर कार्रवाई करे।
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