अमेरिका सेना ने एक ईरानी जहाज से गोलियों की जो बड़ी खेप जब्त की थी, उसे यूक्रेन भेज दिया गया है. ईरान ने इस घटनाक्रम पर कोई जवाब नहीं दिया है.रूस लंबे समय से यूक्रेन पर ईरान में बने ड्रोनों से हमले कर रहा है. अब यूक्रेनी सैनिक रूसी सैनिकों से लड़ने के लिए ईरान से जब्त की गईं गोलियां दागेंगे.
ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स, यमन के गृहयुद्ध में हूथी उग्रवादियों की मदद करने के लिए एक जहाज से हथियार भेज रहे थे. अमेरिका नौसेना के एक जहाज ने इस खेप को जब्त कर लिया. इस दौरान 11 लाख गोलियां जब्त की गईं. यमन के गृहयुद्ध में ईरान जिस तरह हूथियों की मदद कर रहा है, उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन बताया जा रहा है.
अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने बुधवार को बताया कि 7.62 mm की ये गोलियां यूक्रेन भेज दी गई हैं. यूक्रेन के लिए बेहद जरूरी ये हथियार ऐसे वक्त भेजे गए हैं, जब अपनी रक्षा के लिए लड़ने की खातिर यूक्रेन को अमेरिका द्वारा आर्थिक मदद जारी रखना सवालों के घेरे में है.
सोवियत दौर की क्लाश्निकोव राइफलों में और इसी तर्ज पर बनाई गई अन्य बंदूकों में 7.62 mm की गोलियां इस्तेमाल होती हैं. सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूक्रेन की बहुत सारी सैन्य टुकड़ियां अब भी क्लाश्निकोव ही इस्तेमाल करती हैं.
कैसे पकड़ा गया अस्लहा
मध्य-पूर्व में स्थित अमेरिकी नौसेना के पांचवें बेड़े और इसके सहयोगियों ने कई ऐसे जहाजों का पता लगाया है, जिनके बारे में माना जा रहा है कि इनसे ईरान-समर्थित हूथियों की मदद के लिए गोला-बारूद ईरान से यमन ले जाया जा रहा है. सेंट्रल कमांड की प्रवक्ता अबिगेल हैमक ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब जब्त किए गए हथियार यूक्रेन को भेजे गए हैं.
इस शिपमेंट को सेंट्रल कमांड के नौसैनिक बलों ने दिसंबर में एक जहाज से जब्त किया था. कमांड ने इसे ऐसा जहाज बताया था, जो किसी देश की मिल्कियत नहीं था. यह लकड़ी से बना पारंपरिक जहाज था, जिसे इस्लामिक रिवॉल्यूशनल गार्ड कॉर्प्स हूथियों को हथियार भेजने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे.
यमन का क्या मामला है
अमेरिका वायुसेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एलेक्सस जी ग्रिनक्विच ने बताया कि लगभग एक दशक तक चले युद्ध के बाद यमन में अभी तनावपूर्ण संघर्ष-विराम चल रहा है, लेकिन ईरान ने हूथियों की घातक हथियारों से मदद करना जारी रखा है. उन्होंने बताया कि यमन में स्थायी शांति पाने की राह में यह बड़ा खतरा है.
अमेरिका सेंट्रल कमांड ने कहा है, "अमेरिका ने ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनल गार्ड कॉर्प्स के खिलाफ 'डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस' के सिविल जब्ती दावों के जरिए 20 जुलाई, 2023 को इन हथियारों का स्वामित्व हासिल किया है."
संयुक्त राष्ट्र के हथियार संबंधी प्रतिबंध ने 2014 में हूथियों के हथियार देने पर रोक लगा दी थी. ईरान इस प्रतिबंध को मानने का दावा करता है, लेकिन तेहरान लंबे वक्त से समुद्री रास्ते के जरिए हूथियों को राइफल, रॉकेट ग्रेनेड, मिसाइलें और अन्य हथियार मुहैया करा रहा है.
स्वतंत्र विशेषज्ञों, पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने जहाज से जब्त किए हथियारों का ईरान से ताल्लुक पता लगाया है. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधियों से जब बुधवार को इस पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया.
अमेरिकी मदद पर सवाल
यूं तो 10 लाख से ज्यादा गोलियों की खेप अपने आप में पर्याप्त है, लेकिन यह उन हथियारों से कहीं कम है, जो रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से अमेरिका यूक्रेन को भेज चुका है. इसमें से अधिकांश गोला-बारूद थल युद्ध में किया जा चुका है.
अमेरिका ने यूक्रेन की मदद के लिए करीब 44 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता भेजी है. इसके एक हिस्से के रूप में अमेरिका ने यूक्रेन को छोटे हथियारों की 30 करोड़ गोलियां और ग्रेनेड वगैरह भेजे हैं.
अमेरिका इससे इतर यूक्रेन की जो मदद कर रहा है, उसे उन अस्थायी उपायों में शामिल नहीं किया गया है, जिसने पिछले सप्ताह अमेरिका सरकारी शटडाउन रोका है. रिपब्लिकन पार्टी के नेता केविन मैकार्थी स्पीकर पद से हटाए जा चुके हैं.
ऐसे में अब यह स्पष्ट नहीं है कि क्या अगले नेता रिपब्लिकन पार्टी के उन कट्टरपंथियों का समर्थन हासिल करने में कामयाब होंगे या नहीं, जिन्होंने पहले ही यूक्रेन को और पैसे भेजने का विरोध किया था.
वीएस/ओएसजे (एपी)