मुंबई, चार दिसंबर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने किसी खाते को सक्रिय रखने की चुनौती से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर नियमों में बदलाव करने का अनुरोध किया और खाते को चालू घोषित करने के लिए शेष राशि की जांच जैसे गैर-वित्तीय लेनदेन पर भी विचार करने का अनुरोध किया है।
देश के सबसे बड़े बैंक के चेयरमैन सी. एस. शेट्टी ने कहा कि कई बार खाताधारक...खासकर वे खाताधारक जिन्होंने सरकारी कार्यक्रमों के तहत वित्तीय मदद हासिल करने के लिए खाते खोले हैं वे सीमित संख्या में लेनदेन करते हैं।
शेट्टी ने मंगलवार देर शाम बैंक के एक कार्यक्रम से इतर कहा कि खाते में पैसे जमा होने के बाद, अधिकतम केवल दो-तीन बार उससे पैसे निकाले जाते हैं, उसके बाद वह निष्क्रिय हो जाते हैं और उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि कि गैर-वित्तीय लेनदेन से भी खाता सक्रिय किया जा सकेगा, ‘‘ हमने इस मामले को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के समक्ष उठाया है।’’
एसबीआई के चेयरमैन ने कहा कि मौजूदा नियम एक निश्चित समयावधि में वित्तीय लेनदेन पर केंद्रित हैं, जिसके परिणामस्वरूप बहुत सारे खाते ‘‘निष्क्रिय’’ के रूप में चिह्नित हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जब कोई ग्राहक वास्तव में कोई गैर-वित्तीय लेनदेन करता है, तो यह इस बात का संकेत है कि वह बैंक खाते के बारे में ‘‘जागरूक’’ है और इसलिए इसे सक्रिय खाते के रूप में चिह्नित किया जाता है।
चेयरमैन ने यह बयान, आरबीआई द्वारा बैंकों से निष्क्रिय या ‘फ्रीज’ किए गए खातों के मुद्दे को तत्काल सुलझाने तथा तिमाही आधार पर केंद्रीय बैंक को प्रगति की रिपोर्ट देने को कहे जाने के कुछ दिन बाद दिया है।
एसबीआई ने सप्ताहांत में निष्क्रिय खातों के खिलाफ विशेष अभियान की घोषणा भी की थी। हालांकि, देश के सबसे बड़े बैंक में निष्क्रिय खातों की संख्या के बारे में सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)