श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने
(शिरिष बी प्रधान)
काठमांडू, 21 दिसंबर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार को ध्यान को ‘सभ्यता का स्रोत’ बताते हुए योग व ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित किया और मौजूदा वैश्विक हिंसा व संघर्ष के बीच विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए जीवनशैली में इसे अपनाने का आग्रह किया।
ओली ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर काठमांडू के तुइंदेखेल मैदान में 30 मिनट के ध्यान सत्र के दौरान लगभग 5,000 लोगों को संबोधित करते हुए सकारात्मक सोच और अहिंसा के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने योग और ध्यान को दैनिक जीवन में शामिल करने की वकालत करते हुए कहा कि हथियारों के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल करके शांति हासिल नहीं की जा सकती।
प्रधानमंत्री ने समग्र स्वास्थ्य के लिए नियमित ध्यान की आवश्यकता पर जोर दिया और इस तरह के प्राचीन ज्ञान को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसे स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए।
ओली ने योग और ध्यान के माध्यम से नेपाल को एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। इस कार्यक्रम में आध्यात्मिक नेता भी शामिल हुए, जिनमें ओशो तपोवन के प्रमुख स्वामी आनंद अरुण और एलपी भानु शर्मा शामिल थे।
नेपाल ने छह अन्य देशों सहित भारत के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था।
संयुक्त राष्ट्र ने छह दिसंबर को इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और ध्यान के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस को मान्यता दी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने
(शिरिष बी प्रधान)
काठमांडू, 21 दिसंबर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार को ध्यान को ‘सभ्यता का स्रोत’ बताते हुए योग व ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित किया और मौजूदा वैश्विक हिंसा व संघर्ष के बीच विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए जीवनशैली में इसे अपनाने का आग्रह किया।
ओली ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर काठमांडू के तुइंदेखेल मैदान में 30 मिनट के ध्यान सत्र के दौरान लगभग 5,000 लोगों को संबोधित करते हुए सकारात्मक सोच और अहिंसा के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने योग और ध्यान को दैनिक जीवन में शामिल करने की वकालत करते हुए कहा कि हथियारों के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल करके शांति हासिल नहीं की जा सकती।
प्रधानमंत्री ने समग्र स्वास्थ्य के लिए नियमित ध्यान की आवश्यकता पर जोर दिया और इस तरह के प्राचीन ज्ञान को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसे स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए।
ओली ने योग और ध्यान के माध्यम से नेपाल को एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। इस कार्यक्रम में आध्यात्मिक नेता भी शामिल हुए, जिनमें ओशो तपोवन के प्रमुख स्वामी आनंद अरुण और एलपी भानु शर्मा शामिल थे।
नेपाल ने छह अन्य देशों सहित भारत के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था।
संयुक्त राष्ट्र ने छह दिसंबर को इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और ध्यान के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस को मान्यता दी।
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