भोपाल: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना में शासकीय रेलवे पुलिस (GRP) ने निजी अस्पताल के नाम पर फर्जी तरीके से कोविड-19 टीकाकरण (Corona Vaccination) शिविर आयोजित कर मुंबई (Mumbai) की एक हाउसिंग सोसाइटी के रहवासियों को ठगने के आरोप में एक युवक को ट्रेन से गिरफ्तार (Arrest) किया है. सतना जीआरपी के उप निरीक्षक गोविंद प्रसाद त्रिपाठी (Govind Prasad Tripathi) ने शनिवार को बताया कि मुंबई के कांदिवली (Kandivali) इलाके में हीरानंदानी हेरिटेज सोसाइटी (Hiranandani Heritage Society) में हुई धोखाधड़ी के आरोप में मुंबई पुलिस (Mumbai Police) चार आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. Mumbai Vaccine Scam: हाउसिंग सोसायटी में टीकाकरण घोटाले के बाद कई प्रोडक्शन हाउस ने भी की शिकायत, मामले में अब तक 4 गिरफ्तार
त्रिपाठी ने बताया कि सूचना के आधार पर नर्सिंग के छात्र मोहम्मद करीम (19) को उस समय हिरासत में लिया गया जब वह दो दिन पहले मुंबई से पटना जाने वाली ट्रेन में यात्रा कर रहा था. उन्होंने कहा, ‘‘ बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले आरोपी करीम को हमने लोकमान्य तिलक टर्मिनल-पटना एक्सप्रेस से पकड़ कर शुक्रवार को कांदिवली पुलिस को सौंप दिया.’’
हीरानंदानी हेरिटेज रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने कांदिवली पुलिस थाने में की गई शिकायत के कहा था कि 30 मई को उनके आवासीय परिसर में एक टीकाकरण शिविर लगाया गया था. लेकिन बाद में यह पाया गया कि जिन लोगों को टीका लगा, उनका को-विन पोर्टल पर कोई रिकॉर्ड नहीं था जबकि इन लोगों को विभिन्न अस्पतालों के नाम से प्रमाण पत्र प्राप्त हुए थे. सदस्यों ने यह भी आशंका व्यक्त की कि जो टीका उन्हें लगाया गया, वह नकली भी हो सकते हैं.
पुलिस के अनुसार, सोसाइटी के क्लब हाउस में टीकाकरण शिविर का आयोजन किया गया था और प्रत्येक सदस्य से प्रति खुराक 1,260 रुपये का शुल्क लिया गया. इस प्रकार सोसाइटी ने सामूहिक तौर पर शिविर आयोजकों को कुल 4.56 लाख रुपये का भुगतान किया था.
शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 268 (सार्वजनिक उपद्रव), धारा 270 (घातक कृत्य जो जीवन के लिए खतरनाक, या किसी बीमारी से संक्रमण फैलने की संभावना हो), धारा 274 (दवाओं में मिलावट), धारा 275 (मिलावटी दवाओं की बिक्री), धारा 419 (व्यक्तिगत तौर पर धोखाधड़ी), धारा 420 (धोखाधड़ी), 45 (जालसाजी) और आई टी अधिनियम तथा महामारी रोग अधिनियम की संबद्ध धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
जांच के दौरान यह सामने आया कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने इस तरह के शिविर आयोजित करने की अनुमति नहीं दी थी और इस शिविर के दौरान कोई चिकित्सा अधिकारी भी मौजूद नहीं था.
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