नयी दिल्ली, तीन दिसंबर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी’ (मनरेगा) योजना के तहत बजट आवंटन का दुरुपयोग किया गया तथा ‘अपात्र’ लोगों को लाभ पहुंचाने का अपराध किया गया है।
चौहान ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी के पूरक प्रश्न पूछे जाने के बाद यह टिप्पणी की।
बनर्जी ने पूरक प्रश्न पूछते हुए आरोप लगाया कि मनरेगा के बजट आवंटन में पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव किया जा रहा है और उसे देय राशि रोकी गई।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद के पूरक प्रश्न के उत्तर में चौहान ने कहा, ‘‘यह राशि निश्चित उद्देश्यों के लिए होती है। यदि राशि निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति में खर्च नहीं की जाती तो इसे रोका जा सकता है। ’’
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ निश्चित लोगों को लाभ पहुंचाने का अपराध पश्चिम बंगाल में किया गया।
चौहान ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में पात्रों को अपात्र और अपात्रों को पात्र कर दिया गया है। यह साबित हो गया...ग्रामीण विकास योजनाओं का नाम बदल दिया गया, जबकि नाम नहीं बदला जा सकता।’’
उनका कहना था, ‘‘यह राशि दुरुपयोग के लिए नहीं है। जो गड़बड़ की गई, उस पर पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रभावी कार्रवाई नहीं की।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘(केंद्र में) उधर (कांग्रेस) की सरकार थी तो राशि की बंदरबाट होती थी, लेकिन यह मोदी की सरकार में नहीं होता है। (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी जी कहते हैं कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा।’’
उनके जवाब के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने टोकाटोकी की।
मनरेगा से जुड़े कुछ पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि धन के आवंटन की कमी की बात गलत है तथा मानदेय कम होने की बात भी गलत है क्योंकि इसका निर्धारण महंगाई से जुड़ा है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा के बजट में हर साल 10-20 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)